लखनऊ। कानपुर रोड स्थित सरस्वती मेडिकल कालेज मैनेजमेन्ट द्वारा एक विद्यार्थी से फीस के नाम पर साढे़ तेरह लाख रुपये हड़पे जाने का मामला प्रकाश में आया है। इस मामले में एक वर्ष से विद्यार्थी व उसके परिजन पैसा वापस पाने के लिए कालेज चक्कर लगा रहे है।अब तो मैनेजमेन्ट के लेग तक करने को तैयार नहीं है।
गोसाईगंज इलाके के पण्डित दीन दयाल उपाध्याय नगर निवासी बलीराम पाल बताया कि उन्होंने अपने बेटे शैलेन्द्र कुमार पाल का वर्ष 2015-16 सत्र में सरस्वती मेडिकल कालेज में एमबीबीएस में एडमिशन कराया था। प्रथम वर्ष पूरा करके परीक्षा परिणाम घोषित होने से पहले कालेज मैनेजमेन्ट ने द्वितीय वर्ष सत्र 2016-17 की फीस छात्र पर दबाव बनाया और साढ़े तेरह लाख रुपए जमा करा लिए, लेकिन छात्र प्रथम वर्ष में फेल हो गया तो उसके बाद परिजनों ने अपने बेटे को कालेज से हटा लिया। अब कालेज प्रशासन द्वारा छात्र के कालेज छोड़ने के बाद न तो उसकी ओरिजनल डिग्री दे रहा है और न द्वितीय सत्र की फीस वापस कर रहा है। पीड़ित छात्र के पिता बली राम पाल बताते है कि ट्यूशन और हास्टल फीस के नाम पर 12 लाख 75 हजार रुपये, परीक्षा शुल्क के 15 हजार, सप्लीमेन्ट्री फीस के नाम पर 15 हजार तथा सिक्योरिटी फीस के नाम पर 50 हजार (कुल तेरह लाख 55 हजार रुपये) जमा किये। कालेज प्रशासन न तो अब पैसा वापस कर रहा है और न पीड़ित के बेटे की ओरिजनल कागजात व डिग्री। पीड़ित बताता है कि कालेज के प्रधानाचार्य बीपी माथुर, अध्यक्ष रजत माथुर तथा डायरेक्टर चरित माथुर से सम्पर्क करने का कई बार प्रयास किया। पहले तो फोन उठा लेते थे लेकिन अब वह पीड़ित का फोन नहीं उठाते है। जिसके कारण पीड़ित के बेटे का भविष्य अधर में लटका हुआ है। बगैर ओरिजिनल कागजातों के दूसरे कालेज में उसका एडमिशन नहीं हो पा रहा है। उपरोक्त आरोपों के संबंध में जब विद्यालय के प्रधानाचार्य बीपी माथुर, प्रसिडेंट रजत माथुर, व डायरेक्टर चरित माथुर से उनके मोबाइल फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया तो फोन उठाया ही नहीं।
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Sunday, 14 April 2019
मडिकल छात्र से ठगे साढ़े तेरह लाख
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