हरदोई- क्रांतिकारियों पर हुए दमन की गवाह बन कर रह गई बिलग्राम सांडी रेललाइन | Alienture हिन्दी

Breaking

Post Top Ad

X

Post Top Ad

Recommended Post Slide Out For Blogger

Sunday, 7 April 2019

हरदोई- क्रांतिकारियों पर हुए दमन की गवाह बन कर रह गई बिलग्राम सांडी रेललाइन

सोशल मीडिया पर फिर गरमाया सांडी बिलग्राम रेललाइन का मुद्दा

रेलमार्ग के मिटते निशान कोस रहे जनप्रतिनिधियों और सरकारों को

बदलते राजनीतिक चेहरों ने वक्त वक्त पर झूंठे वादों से बरगलाया

सांडी/बिलग्राम से कमरुल खान की रपट

बिलग्राम।हरदोई- चुनाव के नजदीक आते ही सांडी से बिलग्राम होते हुए माधौगंज तक रेललाइन को दुबारा फिर से चालू कराने को लेकर सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर रेल लाओ अभियान अब जोर पकड़ने लगा है जिससे विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों के माथे पर चिंता की लकीरें दौड़ने लगी है। क्योंकि आजादी से लेकर अब तक न जाने कितनी सरकारें आईं और चली गई न जाने कितने इलाकाई सांसदों ने झूठे दिलासे देकर जनता को गुमराह किया और वोट हासिल कर चलते बने लेकिन किसी ने भी इतिहास को संजोए रखने में दिलचस्पी नहीं दिखाई।आजादी से लेकर अब तक लगभग सभी सांसदों ने रेल लाने का वादा कर जनता को खूब छला परंतु अमलीजामा पहनाने में सभी नाकाम रहे। आपको बता दें कि आजादी से पहले 15 नवंबर सन 1909 में सांडी से बिलग्राम होते हुए माधौगंज तक रेललाइन चालू की गयी थी ,जिसके बाद 16 अक्टूबर वर्ष 1925 में डिप्टी कलेक्टर रहे रज़ा हुसैन बिलग्रामी के सुपुत्र सैय्यद जाफर हुसैन के निजी प्रयासों के चलते बिलग्राम में रेलवे स्टेशन भी बनाया गया लेकिन 1941 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हुये आंदोलन के उग्र होने पर तत्कालीन अफसरों ने सांडी से माधौगंज के बीच की रेल लाइन को उखड़वाकर क्रांतिकारियों को दबाने का प्रयास किया गया। देश को आजादी मिलते वक्त क्षेत्र के लोगों को उम्मीद थी कि इस रेलवे लाइन को पुनः शुरू कराकर सरकार आजादी के दीवानों को श्रद्धांजलि देगी , लेकिन सरकारें आती रहीं जाती रहीं परंतु इस ओर किसी ने मुड़कर भी नहीं देखा । कहा जाता है कि सन 1977 में स्वर्गीय परमाई लाल ने इसी रेललाइन के जीर्णोद्धार के लिये संसद में मांग उठाई थी लेकिन उनकी बात को स्वीकारा नहीं गया, जब बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री बने तब भी प्रदर्शन कर रेल लाने के लिए आवाज उठाई गई ।लेकिन लालू प्रसाद के भी कान में जूं न रेंगी। हर बार लोकसभा चुनाव में यह मुद्दा गरमाया।नेताओं ने वादे किये, लेकिन बाद में भूल गये ।इससे खफा इलाकाई लोगों ने रेल लाओ अभियान संघर्ष समिति का गठन किया।डा.पंकज त्रिवेदी की अगुवाई में आँदोलन शुरू हुये जनप्रतिनिधियों से भी गुहार लगाई समिति की ओर से नगर से लेकर जिला मुख्यालय तक रेललाइन की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन व चक्का जाम किये गये। नगर से , जिला मुख्यालय , तहसील पर हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया 3 अगस्त 2016 को दिल्ली जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री और रेल मंत्री सम्बोधित ज्ञापन भी समिति दे चुकी है रेल लाओ संघर्ष समिति पिछले एक दशक से सांडी रेल लाइन की मांग को लेकर संघर्ष करती आ रही है।मार्च 2016 में क्षेत्रीय सांसद की निष्क्रियता से आक्रोशित होकर समिति के द्वारा क्षेत्रीय सांसद के खिलाफ नगर व जिला मुख्यालय पर पोस्टर भी चस्पा किये जा चुके है। समिति के अध्यक्ष के द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने खून से कई पत्र भी लिखे जा चुके है , क्षेत्रीय जनता के हस्ताक्षर युक्त कई पत्र व पोस्ट कार्ड प्रधानमंत्री कार्यालय व रेल मंत्रालय को भेजे जा चुके है । वर्ष 2017 – 2018 के रेल बजट में सांडी में रेल लाइन पड़ने के लिये रेल मंत्रालय ने सर्वे के लिये धन आवंटित किया था। पर समय रहते रेल मंत्रालय के द्वारा सर्वे नहीं कराया गया । वर्ष 2018 – 2019 के रेल बजट में भी हरदोई से गुरसहाय गंज वाया सांडी रेल लाइन के सर्वे हेतु धन आवंटित किया गया था। क्षेत्रीय सांसद पर क्षेत्रीय जनता के दबाव के चलते अगस्त 2018 में उक्त रेल लाइन का हवा हवाई सर्वे कराया गया । क्षेत्रीय जनता ने सांसद अंशुल वर्मा को सरकार की घोषणा की याद दिलाई। उन्होंने जब प्रयास किये तो रेल मंत्रालय ने मुख्य अभियंता के नेतृत्व में अभियंताओं की टीम गठित करते हुये सर्वेक्षण रिपोर्ट मांगी उत्तर रेलवे के अभियंताओं की टीम ने हरदोई से गुरसहायगंज वाया सांडी रेल लाइन का सर्वे किया और उत्तर रेलवे के अभियंताओं ने समाचार के माध्यम से जानकारी दी थी कि सांडी रेल लाइन सर्वे का ले आउट शीघ्र ही जारी होगा पर कई महीने बीत गये अभी तक ले – आउट जारी नहीं हुआ । उधर सर्वे को लेकर रेल मंत्रालय के द्वारा की गई कार्यवाही के बाबत क्षेत्रीय सांसद अंशुल वर्मा कुछ बताने के लिये तैयार नहीं है क्षेत्रीय सांसद की निष्क्रियता के चलते सांडी रेल लाइन का सपना हकीकत में तब्दील होते नजर नहीं आ रहा है मानो ऐसा लगता है कि सांसद महोदय ने हवा हवाई रेल लाइन का सर्वे कराकर इति श्री कर ली हो । समिति के अध्यक्ष डा.पंकज त्रिवेदी ने कहा कि सांडी को पुनः रेल लाइन से जोड़ने की मांग को लेकर संघर्ष करते रहेंगे परिणाम चाहें जो भी हो । उन्होंने कहा कि यदि लोकसभा चुनाव में सांडी रेल लाइन की मांग को पूरा नहीं किया गया तो चुनाव बहिष्कार किया जायेगा और रेल नहीं तो वोट नहीं का नारा बुलंद किया जायेगा ।

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad