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Wednesday 3 April 2019

IAS टॉपर का संघर्ष: अनाथआलय और चपरासी पद से रहा रिस्ता

मोहम्मद अली शिहाब ने 2011 में सिविल सेवा की परीक्षा क्रैक की थी। उनका जन्म केरल के मलप्पुरम जिले के एक गांव, एडवन्नाप्परा में हुआ था। पह बचपन में अपने पिता के साथ पान और बांस की टोकरियों की दुकान में काम किया करते थे। अपने पिता के गुजर जाने के बाद, उन्हें एक अनाथालय में डाल दिया गया था, क्योंकि उनकी मां काफी गरीब थीं और पांच बच्‍चों को पालने की जिम्‍मेदारी केवल उन्‍हीं पर थी।

अनाथालय में प्रवेश पाने के लिए मुहम्मद अली शिहाब को कक्षा पांचवीं में फेल होना पड़ा। उस समय शिहाब मात्र 11 साल के थे और उन्‍होंने अनाथालय में 10 साल बिताए। उन्‍होंने अपनी जिंदगी को संवारने के लिये एक सरकारी स्कूल में पढ़ाने से लेकर केरल जल प्राधिकरण में एक चपरासी के रूप में काम किया। इसके बाद उन्‍होंने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा देने की ठानी और उसे भी पास कर लिया।

इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक साक्षात्कार के अनुसार, शिहाब ने कहा कि उन्होंने अब तक विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा आयोजित 21 परीक्षाओं को पास किया है। मैं वनविभाग, जेल वार्डन और रेलवे टिकट परीक्षक के पदों के लिए परीक्षा दी। शिहाब ने बातया कि मैंने 25 साल की उम्र से ही सिविल सेवा की परीक्षा देने का सपना देखना शुरू कर दिया था।

जब मैंने यूपीएससी परीक्षा में अपना भाग्य आजमाने का इरादा अनाथालय के सामने प्रकट किया तो वहां सभी ने मेरा समर्थन किया। लंबे संघर्ष के बाद शिहाब ने 226 वीं रैंकिंग के साथ यूपीएससी परीक्षा क्रैक की। उनका मानना है कि जमीनी हकीकत की समझ उन्‍हें लोगों की बेहतर सेवा करने में मदद मिलेगी।

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