नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर की 31 प्रतिशत आबादी हाइपरटेंशन यानी हाई ब्लड प्रेशर की शिकार है। इनमें 31 से 50 वर्ष की आयु के 56 प्रतिशत लोग शामिल हैं। अत्यधिक तनाव और नींद कम होने के कारण इनके जीवन से चैन गायब हो गया है। हैरत की बात यह है कि खुद देशवासियों को खबर नहीं कि वे हाइपरटेंशन के शिकार हो रहे हैं।
पेशेवर से लेकर सामाजिक जीवन की बढ़ती अपेक्षाएं। सोशल मीडिया एवं टेक्नोलॉजी का ऐसा दखल कि न सोने का कोई निश्चित समय है, न खाने का और न ही एक्सरसाइज का। 26 प्रतिशत के करीब दिल्लीवासियों को तो नींद ही नहीं आती। वे इनसोमनिया के शिकार हैं। जब लाइफस्टाइल ऐसी हो, तो डायबिटीज और हाइपरटेंशन से कैसे बचें?
बात यहीं खत्म नहीं होती। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया, हार्वर्ड टी.एच. चार स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, द हिडलबर्ग इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लोबल हेल्थ, यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम एवं गॉटिंजन यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन एवं पीएलओएस मेडिसीन मैगजीन में प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार, 15 से 49 वर्ष उम्र के आधे से अधिक भारतीयों को खबर ही नहीं है कि वे हाइपरटेंशन की गिरफ्त में हैं। खासकर छत्तीसगढ़ में सबसे कम, 22.1 प्रतिशत लोग ही जागरूक हैं। हां, पु्डुचेरी की स्थिति थोड़ी बेहतर है, जहां 80.5 प्रतिशत लोग हाइपरटेंशन को लेकर सचेत हैं।
तनाव बढ़ा रहा हाइपरटेंशन
डॉक्टरों के अनुसार, हाइपरटेंशन के कई कारण हो सकते हैं। मसलन, धूम्रपान, तंबाकू सेवन, हाई कोलेस्ट्रोल, डायबिटीज जैसी लाइफस्टाइल बीमारियां, मोटापा, सीडेंट्री लाइफस्टाइल, ज्यादा नमक का सेवन आदि। इसके अलावा, हमारे यहां के किशोर-युवा हरी सब्जियों की बजाय जंक फूड एवं ड्रिंक्स को अधिक प्रेफर करते हैं। यह सब एक समय के बाद हाइपरटेंशन का कारक बन सकता है।
20 से 60 वर्ष के लोगों पर हुआ सर्वे
साकेत स्थित मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल के डिपार्टमेंट ऑफ कार्डिएक साइंसेज के चेयरमैन डॉ. के.के. तलवार ने जब 20 से 60 वर्ष की उम्र वाले दिल्ली वासियों की जीवनशैली को लेकर एक सर्वे किया, तो पाया कि शहरों की तेज गति से भागती जिंदगी ने तनाव का स्तर काफी बढ़ा दिया है। इसमें पेशेवर चिंताएं अधिक होती हैं, जिसकी खानापूर्ति अनहेल्दी खाने या फिर वीडियो गेम्स, सोशल मीडिया में समय बिताकर की जाती है। लोग बाहर निकलने से बचते हैं। 58 प्रतिशत दिल्लीवासी पूरे हफ्ते कोई भी एक्सरसाइज नहीं करते।
40 में तेजी से बढ़े हृदय रोगी
डॉ. तलवार बताते हैं कि 40 साल की प्रैक्टिस में उन्होंने शहरी लोगों में हृदय संबंधी बीमारियों के खतरे को बेतहाशा बढ़ते देखा है। खराब खानपान की आदत, एक्सरसाइज न करना, व्यस्त एवं तनावपूर्ण जीवन जीने के कारण बहुत से लोग तो तंबाकू और अन्य नशे के आदि हो जाते हैं। तनाव से नींद नहीं आती। इस तरह पूरा पाचन तंत्र तहस-नहस हो जाता है। हाइपरटेंशन का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है, सो अलग। ऐसे में अगर इन सबको नियंत्रण में रखा जाए, तो हृदयघात यानी हार्ट स्ट्रोक व हार्ट अटैक से भी काफी हद तक बचा जा सकता है।
18-19 वर्ष में शुरू कर दें बीपी की जांच
दिल्ली स्थित एम्स द्वारा 24 राज्यों में किए गए ग्रेट इंडिया बीपी सर्वे पर गौर करें, तो भारत में हर पांच यंग एडल्ट्स में से एक उच्च रक्तचाप यानी हाई ब्लड प्रेशर का शिकार है। पश्चिमी देशों की तुलना में यहां कम उम्र में यह लोगों को अपनी चपेट में ले लेता है। यहां इसकी स्क्रीनिंग भी अमूमन 30 वर्ष की आयु में शुरू होती है, तब तक काफी विलंब हो चुका होता है। इस स्थिति से बचने के लिए यथाशीघ्र यानी 18 से 19 वर्ष की आयु में बीपी की जांच शुरू हो जानी चाहिए। कॉलेज स्टूडेंट्स की नियमित बीपी जांच के अलावा, स्कूली बच्चों को एक्सरसाइज, स्पोर्ट्स एवं स्वास्थ्यवर्धक खाने के लिए प्रेरित करना होगा। अध्ययनों से पता चलता है कि 21 से 30 वर्ष के 78 प्रतिशत युवाओं को घर का खाना पसंद ही नहीं। वे बाहर खाने को प्राथमिकता देते हैं। इस आदत को भी बदलना होगा।
हाइपरटेंशन के कारण
-अत्यधिक तनाव में रहना
-स्मोकिंग या नशे की लत
-नींद न आने की समस्या
-एक्सरसाइज न करना
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