मोदी के प्रचंड लहर को 64 सीटों के जरिए रफ्तार देकर यूपी ने तमाम जमीनी और कागजी कयासों को कोरा करार दे दिया। गठबंधन के बुआ-बबुआ तथा कांग्रेसी प्रियंका और सिंधिया की जोड़ी के सारे जतन योगी आदित्यनाथ के भगवा मंडली ने धराशाई कर दिया। मोदी सरकार की दोबारा ताजपोशी के बाद यूपी में योगी मंत्रिमंडल के कमंडल का वजन बढ़ने वाला है। जिस पर नेतृत्व स्तर पर मंथन जारी है। पेश है खास रिपोर्ट-
अशोक सिंह विद्रोही /कर्मवीर त्रिपाठी
लोकसभा की 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश ने एनडीए गठबंधन को 64 सीटें देकर एक बार फिर मोदी सरकार के मंत्रिमंडल गठन का सुयोग दिया है।
भाजपा के लिए लंबे समय से बागी-बलिया साबित हो रहे ओपी राजभर को मंत्रिमंडल व गठबंधन से गेट आउट करने के बाद योगी सरकार में सहयोगी दल के नाम पर अपना दल ही एकमात्र सहयोगी दल है। अब जबकि राज्य सरकार के मंत्रिमंडल के तीन कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी, सत्यदेव पचौरी व एस पी सिंह बघेल देश के संसद में नुमाइंदगी करेंगे तब, ऐसे में योगी सरकार को भी जरूरी कैबिनेट कोरम पूरा करने के लिए नए मंत्रियों की जरूरत होगी।
बहरहाल तकनीकी रूप से अभी योगी कैबिनेट का कोरम फौरी तौर पर पूरा है। जिसकी वजह यह है कि नवनिर्वाचित तीनों सांसदों ने कैबिनेट से इस्तीफा नहीं दिया है। उसी के आधार पर योगी आदित्यनाथ बड़े मंगल पर बड़ा कैबिनेट फैसला ले सकते हैं। सियासी जानकारों की मानें तो बाहर किए गए राजभर समेत 4 कैबिनेट मंत्रियों के रिक्तपदों सहित कम से कम 8 नए मंत्रियों को केंद्रीय नेतृत्व की झंडी के बाद जल्दी ही शपथ दिलाई जा सकती है।
सूत्रों की मानें तो मोदी सरकार के विधिवत गठन तथा उसमें यूपी से सियासी व जातीय संतुलन के हिसाब से मंत्री पद आवंटन के बाद योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सूबे की सरकार को गति देने के लिए सहयोगी अपना दल से 1 तथा 7 बीजेपी के नए पुराने विधायकों व मंत्रियों को सरकार में शामिल किया जा सकता है। इसके साथ ही 11 विधायकों के सांसद चुन लिए जाने के बाद सूबे में इन विधानसभाओं का चुनाव भी होना है,ऐसे में भाजपा हर हाल में इन 11 सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए मंत्रिमंडल में जरूरी फेरबदल जरूर करेगी। जिससे सपा-बसपा गठबंधन को फाइनल झटका दिया जा सके।
सरकार के सूत्रों पर भरोसा करें तो योगी मंत्रिमंडल में पद व कद घटाने पर नेतृत्व में सहमति नहीं बन पा रही। इसी वजह से पार्टी 64 सीटों के बम-बम जोश में बीच का रास्ता बना रही है। सुभासपा के ओपी राजभर कुनबे की सरकार से विदाई के बाद सहयोगी के तौर पर एकमात्र बचे अपना दल ने लोकसभा चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए अपनी दोनों सीटें बरकरार रखी हैं।
गौरतलब है कि अपना दल अरसे से अपने कोटे से एक और मंत्री बनाने को लेकर योगी से लेकर दिल्ली तक पर दबाव की जोर आजमाइश कर चुका है। अब जबकि सरकार में गुंजाइश भी है और दस्तूर भी तब, अनुप्रिया पटेल पर अपनी पार्टी के भीतर से भी दबाव ज्यादा पड़ेगा। ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि योगी सरकार के नए मंत्रिमंडल विस्तार में कितनों को बाबा का सहारा मिलता है और कितने फिर उम्मीद के सहारे अच्छे दिन आने की बाट जोहते हैं।
मोदी सरकार के गठन के बाद जून के पहले हफ्ते में होगा योगी मंत्रिमंडल का विस्तार
योगी सरकार के तीन मंत्रियों के सांसद बनने तथा ओ पी राजभर की बर्खास्तगी के बाद मुख्यमंत्री समेत 47 सदस्यीय मंत्रिमंडल में अब 43 मंत्री हैं। मानक के अनुसार सीएम अपने मंत्रिमंडल की संख्या 60 तक रख सकते हैं। चुनाव जीतने वाले तीन मंत्रीयों के सांसद बन जाने के बाद उन्हें मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ेगा। कैबिनेट कोरम के मुताबिक कुछ दिनों में मंत्रिमंडल का विस्तार करना ही पड़ेगा।
लोकसभा चुनाव में प्रदेश के चार काबीना मंत्री अपनी किस्मत आजमा रहे थे । इनमें इलाहाबाद से परिवार महिला कल्याण व पयर्टन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी, आगरा (सु.) पशुधन मंत्री एस.पी. सिंह बघेल, कानपुर से खादी, लघु उद्योग मंत्री सत्यदेव पचौरी को जीत मिली। वहीं बहराइच से सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा को अम्बेडकरनगर से हार का सामना करना पड़ा।
असम के प्रभारी महेन्द्र सिंह व मध्य प्रदेश के प्रभारी स्वतंत्रदेव सिंह के पद व कद में बढ़ोतरी दोनों राज्यों के परिणामों के आधार पर निश्चित है।
No comments:
Post a Comment