वाराणसी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में 24 फरवरी को हुए यूपी काॅलेज के छात्र विवेक सिंह हत्याकाण्ड में वांछित चल रहे 50 रुपये के हजार का पुरस्कार घोषित मुख्य अभियुक्त अनुपम नागवंशी उर्फ कुन्दन पुत्र वीरेन्द्र प्रताप सिंह, निवासी ग्राम फुल्ली, थाना सकलडीहा, चन्दौली को एसटीएफ, उप्र ने मुठभेड़ में गिरफ्तार करने का दावा किया है। पकड़े गए अभियुक्त के कब्जे से एक देसी पिस्टल-32बोर, 3 जिन्दा कारतूस-32बोर, एक खोखा कारतूस-32बोर और एक मोबाइल फोन बरामद हुआ है। अभियुक्त के विरूद्ध थाना शिवपुर में धारा 307 आई0पी0सी0 व 3/25 आर्म्स एक्ट का अभियोग पंजीकृत कराया गया है। अग्रिम विधिक कार्यवाही स्थानीय पुलिस द्वारा की जा रही है।
एसएसपी एसटीएम अभिषेक सिंह ने बताया कि शनिवार को मुखबिर से सूचना प्राप्त हुई कि विवेक सिंह हत्याकाण्ड का मुख्य अभियुक्त एवं 50 हजार रूपये का पुरस्कार घोषित अपराधी अनुपम नागवंशी किसी से मिलने के लिये थाना शिवपुर क्षेत्रान्तर्गत सेण्ट्रल जेल रोड पर पानी टंकी के पास खड़ा है, यदि शीघ्रता की जाये तो पकड़ा जा सकता है।
उक्त सूचना पर निरीक्षक शैलेष प्रताप सिंह एसटीएफ वाराणसी के नेतृत्व में टीम गठित कर मुखबिर द्वारा बताये गये स्थान सेण्ट्रल जेल रोड पर पानी टंकी के पास अपनी उपस्थिति को छिपाते पहुॅंची तो पीले रंग की शर्ट पहने हुये एक व्यक्ति को देखकर मुखबिर द्वारा बताया कि यही अनुपम नागवंशी है, इसके उपरान्त एस0टी0एफ0 टीम द्वारा अनुपम नागवंशी को आत्मसमर्पण के लिये कहा गया तो वह पुलिस टीम पर जान मारने की नियत से फायर करने लगा, परन्तु पुलिस टीम द्वारा अपनी कार्य कुशलता से आवश्यक बल का प्रयोग कर उक्त अपराधी को गिरफ्तार कर लिया गया, जिससे उपरोक्त बरामदगी हुई।
गिरफ्तार अभियुक्त अनुपम नागवंषी उर्फ कुन्दन उपरोक्त ने बताया कि वर्ष 2015 में बी0ए0 फाइनल में मैंने यू0पी0 काॅलेज महामंत्री पद के लिये चुनाव लड़ा और जीत गया। इसी दौरान मेरी मुलाकात विवेक सिंह से हुई जो अपना एडमिशन करवाने के लिए मेरे पास आया था। मैंने उसका एडमिशन गेम कोटा से बी0काम में करा दिया था। उसको हास्टल के डी0 ब्लाक में कमरा मिल गया। जहां उसकी दोस्ती सर्वेश सिंह से हो गयी। विवेक सर्वेष सिंह आदि के साथ मिलकर अवैध असलहे व लूटपाट का कार्य करने लगा था। ये सभी लोग विवेक सिंह उर्फ कट्टा के लिए असलहे की तस्करी का कार्य करते थे। मेरा भी सम्बन्ध विवेक सिंह उर्फ कट्टा से अच्छा था।
एक दिन सर्वेश, विवेक व कुछ बाहरी लड़के अपने ब्लाक में पार्टी किये तथा खूब शराब पीये। शराब पीकर वो लोग गाली देने लगे। इस पर मैं अपने साथियों के साथ समझाने के लिये जब वहा गया तो वहाॅं विवेक सिंह (मृतक) आया और मुझे मेरे जूनियरों के सामने ही मारपीट कर भाग गया। मुझे उस समय बहुत शर्मिन्दगी महसूस हुई। मैं भी गुस्से में आ गया और मैंने विवेक सिंह को जान से मारने का फैसला कर लिया। मैंने रोहित सिंह से अपनी पिस्टल मंगा लिया।
कुछ दिन बाद मुझे सर्वेश अपने दोस्तो के साथ यू0पी0 काॅलेज गेट पर दिख गया वो लोग मेरी तरफ देखकर हस रहे थे मुझे लगा सर्वेश ने ही मुझे मरवाने की साजिश की है। मैंने गुस्से में सर्वेश को अपने पास बुलाया और पिस्टल निकाल कर फायरिंग कर दिया पहली गोली उसके हाथ लगी, दूसरी इधर उधर हो गयी तथा तीसरी उसकी कमर मे लगी वो वहीं गिर गया। मैं व अतुल बाईक पर बैठ कर वहां से भाग गये। हम लोगों के विरूद्ध धारा 307 आई0पी0सी0 का मुकदमा दर्ज हुआ और इस मुकदमें में 5-6 दिन बाद हम दोनों लोेगो ने साथ में ही कचहरी में आत्मसमर्पण कर दिये।
इस दौरान जेल में मेरा सम्पर्क राहुल राजपूत से हुआ जो गांजा तस्करी के केस में अन्दर आया था। जमानत से छूटने के बाद हमारे और विवेक सिंह के गुट में वर्चस्व के लिये आपसी रंजिष और प्रतिद्वंदिता काफी बढ़ गयी थी, जिससे हम लोग विवेक सिंह को जान से मारने के लिये खोजने लगे थे। शुक्रवार को रात्रि समय लगभग 09:30 बजे पता चला कि विवेक सिंह यू0पी0 काॅलेज के पी0जी0 हाॅस्टल गेट पर खड़ा है। इस पर मैं अपने साथियों के साथ आकर विवेक सिंह पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर उसकी हत्या कर दिया और मौके से फरार हो गया। आज मैं एक साथी से मिलकर उड़ीसा गाॅंजा की तस्करी के काम से जाने वाला था, इसी लिये यहाॅ अपने मित्र के आने का इन्तजार कर रहा था।
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