लोकसभा चुनावों के अंतिम तीन चरणों के चुनाव प्रचार के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अयोध्या में प्रस्तावित जनसभा संपन्न हो चुकी है। टी वी चैनलों के युग में पीएम मोदी की अयोध्या चुनावी रैली पर पूरे देश की निगाहें लगा दी गयीं थी। पूरा तथाकथित सेकुलर मीडिया आपने हिसाब से इस रैली को देख रहा था व अपनी कमेंट्री कर रहा था। तथकथित सेकुलर मीडिया के कुछ पत्रकार इस रैली के माध्यम से अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश कर रहे थे व विश्व हिंदू परिषद, राम मंदिर आंदोलन से जुडे संतों, संघ व भाजपा तथा पीएम मोदी के बीच राम मंदिर निर्माण को लेकर एक विरोध व तनाव व उसके बहाने पीएम मोदी तथा भाजपा को आगामी मतदान में होने वाले लाभ व हानि का गुणाभाग करने में लग गये थे। इन तथाकथित सेकुलर मीडिया का जां पत्रकार रैली स्थल पर मौजूद था वह संतों से केवल राम मंदिर निर्माण और उनकी मोदी जी से उनकी अपेक्षा पर ही सवाल खड़े करे कर रहे थे। इन पत्रकारों का उददेश्य एकमात्र यही था कि वह येनकेन प्रकारेण विश्व हिंदू परिषद तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच मतभेदों को उजागर करके यह साबित करे कि इस बार संत समाज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली से नाराज है तथा इस बात का असर आगामी मतदान पर पड़ सकता हैं। सभी एंकर संतों से कवल राम मंदिर की ही बात कर रहे थे कि मोदी जी आयें और रैली के माध्यम से राम मंदिर निर्माण पर कुछ बात करें।लेकिन माइक के सामने संतसमाज ने टीवी एंकरों को पूरी तरह से निराश कर दिया है। अब यह पूरी तरह से तय हो गया है कि अयोध्या ही नहीं अपितु पूरे देशभर का संत समाज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पूरी तरह से तन- मन- धन के साथ खड़ा है तथा सभी संतों ने एकस्वर से यही बात कही है कि पहले देश । जब आतंकवाद से देश सुरक्षित होगा तभी सब कुछ शांतिपूर्वक हो सकेगा। सभी संतों ने टी वी चैनलो मेंं साफ कर दिया है कि जब अगली बार मोदी जी की सरकार मजबूती के साथ आयेगी तब पांच छह माह के अंदर या साम्प्रदायिक सौहार्द्र आपसी भाईचारे के साथ अयोध्या में भव्य मंदिर का निर्माण शुरू हो जायेगा।
देश का मूर्धन्य मीडिया जगत अच्छी तरह से जानता है कि अयोध्या विवाद इस समय सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है तथा लोकसभा चुनावों के परिप्रेक्ष्य में आचार संहिता लगी हुयी है उस समय यह तथाकथित सेकुलर मीडिया राम मंदिर निर्माण को लेकर कुछ सुगबुगाहट होने का संकेत दे रहे थे। लेकिन आजकल पत्रकारिता का अधिकांश हिस्सा अफवाहों पर भी चलता है। जसके कारण तरह- तरह की अफवाहें भी फैलाने की कोशिशें की गयी। अब जबकि पीएम मोदी जी की एक अच्छी रैली सकुशल संपन्न हो गयी हें तो फिर उसके बाद यह कोशिशें एक बार फिर इन असामाजिक तत्वों द्वारा शुरू की गयी है। अब इन लोगों का कहना है लो पीएम मोदी ने अयोध्या के मंदिरों का दौरा नहीं किया और राम मंदिर पर कुछ बोले भी नही। बहुत बातें फैलायी जा रही हैं। लेकिन मोदी विरोधी साजिशें कितनी सफल हो पायेंगी यह तो भीषण गर्मी के बीच पड़ रहे मतदान के बाद 23 मई को ही पता चल सकेगा। कुछ तथाकथित सुकेलर मीडिया उनकी अयोध्या रैली से निराशा फैलाने का काम कर रहा है। लेकिन यह लोग यह भूल गये हैं कि पीएम मोदी ने अपने संबोधन से छोटी -छोटी बातों से बहुत बड़ें संदेश देकर गये हैं जिसके कारण सपा, बसपा, रालोद व कांग्रेस ब्लड प्रेशर बढ़ना लाजिमी है। जातिगत आधार पर अवध में प्रायः सपा ,बसपा और कांग्रेस के साथ भाजपा का सीधा मुकाबला होता रहा है। पीएम मोदी ने अपने बहुत ही गजब अंदाज में सबसे पहले अंबेडकर और लोहिया जी का नाम लेने के बाद यह भी बताया कि अयोध्या को भगवान राम की नगरी बताया। उन्होंने अपनी तीन पक्तियों के माध्यम से सामाजिक समरसता का वातावरण बनाने का अदभुत प्रयोग किया है। विपक्ष पीएम मोदी पर लगातार आरोप लगा रहा है कि वह गरीबों के लिये कुछ नहीं कर रहे नही अपने काम बता पा रहे है। अपनी रैली के माध्यम से उन्हांने मजदूर दिवस के अवसर पर मजदूरों के हक में जो निर्णय लिये है उनके विषय में विस्तार से जानारी देते हुए गरीबों के हित में चलायी जा रही योजनाओं को एक के बाद एक गिनाया और फिर सपा- बसपा के भ्रष्टाचार तथा उनके नापाक गठबंधन और इरादों पर तीखे हमले बोले। पीएम मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ की जा रही कार्यवाही का भी बखान किया जिस कारण उनकी रैली में मोदी -मोदी के नारे भी लगे। लेकिन अयोध्या की रैली में जयश्रीराम का नारा न लगे यह हो ही नहीं सकता था। पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी रैली के अंत में जयश्रीराम का नारा लगवाकर सभी आलोचकों का मुंह बंद कर दिया और बीजेपी सर्मथकोंं व अपने कोर मतदाता को भी लगभग खुश करके उनकी बढ़ रही निराशा को काफी हद तक दूर कर दिया। लेकिन सेकुलर मीडिया , विरोधी दलों का अफवाह तंत्र कहां शांत बैठने वाला है। लेकिन अबकी बार भाजपा सतर्क है। इन सभी विरोधी व विकृत मानसिकता वाले दलों व विचारकों यह बात याद रखनी चाहिये कि विगत विधानसभा चुनावों के पहले जब पीएम मोदी ने लखनऊ के ऐशबाग में जयश्रीराम का नारा लगवा दिया था उसके बाद पूरे प्रदेश का चुनावी वातावरण पूरी तरह से बदल गया था जिसकी हनक और धमक आज तक सुनायी पड़ रही है। अभी जब पीएम मोदी ने अपनी चुनावी रैली में केवल अयोध्या को भगवान राम की नगरी बताया है और जयश्रीराम के नारे लगवाये है। उसी के बाद सपा, बसपा और कांग्रेस की चूलें हिली जा रही हैं । यह सभी जानते है कि मामला सुप्रीम कोर्ट और मध्यस्थता तथा आचार संहिता के बीच फंसा हुआ है उस पर भी यह तथाकथित नये रामभक्त अपनी आदतां से बाज नहीं आ रहे हैं। लेकिन अब यह तय है कि आम जनमानस व अयोध्या के संतों को पूरी तरह से विश्वास हो गया है कि एक बार फिर मोदी सरकार आने के बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो सकेगा। उच्चपदों पर बैठे हुए लोगों को काफी शालीनता व मर्यादा के साथ अपनी बातेंं रखनी होती है। वैसे भी यह समय किसी प्रकार की घोषणा करने का नहीं था। अगर पीएम मोदी कुछ बोल भी देते थेतो तुरंत मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाता और आचार संहिता का उल्लंघन भी हो जाता था तथा सभी विरोधी दल उनके पीछे पड़ जाते और टी वी चैनलों को एक बहस का मुददा मिल जाता । पीएम नरेंद्र मोदी राजनीति के कोई कच्चे खिलाड़ी नहीं हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने एक तीर से कई निशाने साध लिये हैं। उन्होंने अंबेडकर, लोहिया व भगवान श्रीराम का लेकर सामाजिक वतावरण बना दिया है जिसका असर अवध ही नहीं अंतिम तीन चरणों के चुनाव परिणाम पर भी पड़ सकता है।
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Thursday, 2 May 2019
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अयोध्या रैली और अवध में प्रभाव
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