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Thursday, 4 July 2019

इस वजह से निकलती है भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा, जानें पूरी कथा!

यह तो हम सभी जानते हैं कि जगन्नाथ पुरी को धरती का बैकुंठ के नाम से पुकारा जाता है। वहीं बात अगर ब्रह्म और स्कंद पुराण की करें तो पुरी में भगवान विष्णु ने पुरुषोत्तम नीलमाधव के रूप में अवतार लिया था और बस वह तब से यहां सबर जनजाति के परम पूज्य देवता बन गए। बता दें कि सबर जनजाति के देवता होने की वजह से यहां भगवान जगन्नाथ का रूप कबीलाई देवताओं की तरह उन्हें माना जाने लगा। जगन्नाथ मंदिर की महीमा सिर्फ हमारे देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में काफी प्रसिद्ध हैं।

बहुत कम लोग इस बात को जानते होंगे कि भगवान जगन्नाथ को साल में एक बार उनके गर्भ गृह से निकालकर यात्रा कराई जाती है… चलिए बिना देर किए वेद संसार आपको बताने जा रहा है कि इस खास रथयात्रा का रहस्य क्या है और कैसे भगवान अपने गर्भ गृह से निकलकर प्रजा के सुख-दुख को खुद देखते हैं???

भगवान जगन्नाथ और उनकी रथयात्रा की पूरी जानकारी –

कहते हैं कि, पुरी रथयात्रा के लिए बलराम, श्रीकृष्ण और देवी सुभद्रा के लिए तीन अलग-अलग रथों का निर्माण किया जाता है। रथयात्रा में सबसे आगे जहां बलरामजी का रथ रहता है तो वहीं, बीच में देवी सुभद्रा का रथ और फिर सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ श्रीकृष्ण का रथ होता है। भगवान जगन्नाथ के रथ को आप उनके रंग और ऊंचाई से आसानी से पहचान सकते हैं। पुरी में बना जगन्नाथ मंदिर भारत में हिंदुओं के चार धामों में से एक माना जाता है और यह धाम तकरबीन 800 सालों से भी ज्यादा पुराना है।

कैसा होता है भगवान जगन्नाथ का रथ?

भगवान जगन्नाथ के रथ को नंदीघोष रथ कहा जाता है जो 45.6 फीट ऊंचा होता है। रथ को काफी खूबसूरत ढंग से सजाया जाता है जो दूर से ही आकर्षति करता है। वहीं, दूसरी ओर बलरामजी का तालध्वज रथ 45 फीट ऊंचा और देवी सुभद्रा का दर्पदलन रथ 44.6 फीट ऊंचा होता है।

जगन्नाथ पुरी मंदिर से जुड़ी वह 5 चमत्कारी बातें –

  • आपको जानकर हैरानी होगी कि भगवान जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर स्थित झंडा हमेशा हवा की विपरीत दिशा में ही लहराता है। यही नहीं, मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र भी मौजूद है और जो इस चक्र को किसी भी दिशा से खड़े होकर देखता है उसे ऐसा लगता है कि चक्र का मुंह उसी के तरफ है।
  • जगन्नाथ मंदिर की रसोई में प्रसाद पकाने के लिए 7 बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता है। इन बर्तनों को एक-दूसरे के ऊपर रख दिया जाता हैं। बता दें कि यह प्रसाद मिट्टी के बर्तनों में लकड़ी पर ही पकाया जाता है। दिलचस्प बात यह है कि इस दौरान सबसे ऊपर रखे बर्तन का पकवान पहले पकता है और फिर नीचे की तरफ से एक के बाद एक प्रसाद पकता चला जाता है।
  • अगर आप जगन्नाथ मंदिर गए हैं तो यह एहसास ज़रूर किया होगा और अगर अब तक यह मंदिर नहीं गए हैं तो ज़रूर से जाए और इस खास अनुभव का आनंद उठाए… यहां सिंहद्वार से पहला कदम अंदर रखने पर ही आप समुद्र की लहरों से आने वाली आवाज को नहीं सुन सकते है वहीं, आश्चर्य में डाल देने वाली बात यह है कि जैसे ही आप मंदिर से एक कदम बाहर रखेंगे, वैसे ही समुद्र की आवाज सुनाई देने लगती है। ध्यान दें कि यह अनुभव शाम के समय और भी अलौकि‍क लगता है।
  • आपने ज्यादातर मंदिरों के शिखर पर पक्षी बैठे और उड़ते हुए देखा होगा। जगन्नाथ मंदिर की यह बात आपको चौंका देगी कि इसके ऊपर से कोई भी पक्षी नहीं गुजरा करता है। पक्षी ही क्या यहां तो हवाई जहाज भी मंदिर के ऊपर से नहीं निकलता।
  • आपको जानकर यह हैरानी ज़रूर होगी कि दिन के किसी भी समय में जगन्नाथ मंदिर के मुख्य शिखर की परछाई नहीं बनती है।

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