नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2005-06 के एयर इंडिया सौदे में अनियमितताओं के बारे में गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) को संक्षेप आवेदन देने को कहा है।
एनजीओ का कहना है कि 2005- 06 में एयर इंडिया के लिये 111 विमानों की खरीद अथवा किराये पर लेने के सौदे में कथित तौर पर गंभीर अनियमिततायें हुई हैं जिसकी केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने जांच नहीं की।
मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने एनजीओ की तरफ से मामले में पेश वकील प्रशांत भूषण द्वारा अपनी बात रखे जाने के बाद यह कहा। भूषण का कहना था कि याचिका में कई मुद्दे उठाये गये थे लेकिन सीबीआई ने इन पहलुओं की जांच नहीं की।
सेंटर फार पब्लिक इंटरेस्ट लिटीगेशन (सीपीआईएल) का प्रतिनिधित्व करते हुये भूषण ने आरोप लगाया कि इस मामले में रिश्वत दिये जाने के पहलू की भी जांच नहीं की गई।
सीबीआई की तरफ से न्यायालय में पेश अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल पी.एस. नरसिम्हा ने पीठ से कहा कि एजेंसी इस मामले में चार अलग अलग प्राथमिकी दर्ज की हैं और जांच चल रही है। बहरहाल, पीठ ने मामले की सुनवाई अगले सप्ताह तय करते हुये भूषण से संक्षेप में मामले को स्पष्ट करते हुये अपनी बात रखने को कहा है, ताकि स्थिति स्पष्ट हो सके।
एनजीओ ने अपनी याचिका में कहा है कि कथित तौर पर अनियमितताओं के चलते 111 विमानों की खरीद अथवा उन्हें पट्टे पर लेने का यह सौदा एयर इंडिया को 70,000 करोड़ रपये का पड़ा है। भूषण ने इससे पहले शीर्ष अदालत को बताया कि कनाडा के उपरी अदाीलत ने इस मामले में कथित तौर पर एयरलाइन के लिये 1,000 करोड़ रपये में बायोमेट्रिक प्रणाली खरीदने के लिये रिश्वत देने के मामले में दोषी ठहराया है।
केन्द्र सरकार ने हालांकि इस मामले में कहा है कि याचिका में जो भी आरोप लगाये गये हैं वह नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) और संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) की रिपोर्ट में प्रतिकूल टिप्पणियों के परिणामस्वरूप हैं।
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