Saptarishi | सप्त ऋषि | जानिए सप्तऋषियों से जुडी ख़ास बातें | Alienture हिन्दी

Breaking

Post Top Ad

X

Post Top Ad

Recommended Post Slide Out For Blogger

Friday 25 August 2017

Saptarishi | सप्त ऋषि | जानिए सप्तऋषियों से जुडी ख़ास बातें

Saptarishi Information In Hindi | हिन्दू धर्म में वेदों का काफी अधिक महत्व है। चारों वेदों में हजारों मंत्र हैं और इन मंत्रों की रचना की है ऋषियों ने। मंत्रों की रचना में कई ऋषियों का योगदान रहा है, इन ऋषियों में सप्त ऋषि ऐसे हैं, जिनका हिन्दू धर्म में सबसे ज्यादा योगदान माना गया है। आकाश में सात तारों का एक मंडल नजर आता है उन्हें सप्तर्षियों का मंडल कहा जाता है। उक्त मंडल के तारों के नाम भारत के महान सात संतों के आधार पर ही रखे गए हैं। सप्त ऋषियों के संबंध में मतभेद भी हैं। अलग-अलग ग्रंथों में अलग-अलग सप्त ऋषि बताए गए हैं। यहां बताए गए सप्त ऋषि सबसे ज्यादा नामावली के आधार पर बताए गए हैं।

यह भी पढ़े– नाद योग – ऋषि-मुनियों के हमेशा जवान बने रहने का चमत्कारी तरीका

Saptarishi Information In Hindi

ऋषि वशिष्ठ
ऋषि वशिष्ठ राजा दशरथ के कुलगुरु और चारों पुत्र श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुध्न के गुरु थे। वशिष्ठ के कहने पर दशरथ ने अपने चारों पुत्रों को ऋषि विश्वामित्र के साथ आश्रम में राक्षसों का वध करने के लिए भेज दिया था। कामधेनु गाय के लिए वशिष्ठ और विश्वामित्र में युद्ध भी हुआ था।

ऋषि विश्वामित्र
ऋषि बनने से पहले विश्वामित्र एक राजा थे और वे ऋषि वशिष्ठ से कामधेनु गाय हड़पना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने युद्ध भी किया था, लेकिन वे वशिष्ठ ऋषि से हार गए थे। इस हार ने ही उन्हें घोर तपस्या के लिए प्रेरित किया था। विश्वामित्र की तपस्या मेनका ने भंग की थी। विश्वामित्र ने एक नए स्वर्ग की रचना भी कर दी थी। विश्वामित्र ने ही गायत्री मन्त्र की रचना की है जो आज भी सबसे चमत्कारिक मन्त्र है।

ऋषि कण्व
वैदिक काल के ऋषि हैं कण्व। इन्होने अपने आश्रम में हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत की पत्नी शकुंतला और उनके पुत्र भरत का पालन-पोषण किया था। भरत के नाम पर ही इस देश का नाम भारत हुआ है। ऋषि कण्व ने लौकिक ज्ञान-विज्ञानं और अनिष्ट-निवारण संबंधी असंख्य मन्त्र रचे हैं।

ऋषि भारद्वाज
वैदिक ऋषियों में भारद्वाज ऋषि का स्थान भी काफी ऊंचा है। भारद्वाज के पिता बृहस्पतिदेव और माता ममता थी। भारद्वाज ऋषि श्रीराम के जन्म से पहले अवतरित हुए थे, इनकी लम्बी आयु का पता इस बात से चलता है कि वनवास के समय श्रीराम इनके आश्रम में गए थे। भारद्वाज ऋषि ने वेदों में कई मंत्र रचे हैं। उन्होंने भारद्वाज-स्मृति और भारद्वाज-संहिता की भी रचना की है।

ऋषि अत्रि
महर्षि अत्रि ब्रह्मा के पुत्र, सोम के पिता और कर्दम प्रजापति व देवहुति की पुत्री अनुसूया के पति बताए हैं। एक कथा के अनुसार अत्रि जब अपने आश्रम से बाहर गए थे, तब त्रिदेव अनुसूया के घर ब्राह्मण के भेष में भिक्षा लेने पहुंचे थे। जिसे अनुसूया ने बालक बना दिया था। माता अनुसूया ने देवी सीता को पतिव्रत धर्म का उपदेश दिया था। ये भगवान दत्तात्रेय, चन्द्रमा, दुर्वासा के माता-पिता है।

ऋषि वामदेव
वामदेव ने सामगान यानी संगीत की रचना की है। ये गौतम ऋषि के पुत्र थे। भरत मुनि द्वारा रचित भरत नाट्य शास्त्र सामदेव से ही प्रेरित है। हज़ारों वर्ष पूर्व रचे गए सामदेव में संगीत और वाद्य यंत्रों की सम्पूर्ण जानकारी मिलती है।

ऋषि शौनक
प्राचीन समय में शौनक ऋषि ने दस हज़ार विधार्थियों का गुरुकुल स्थापित किया और कुलपति बनने का सम्मान हासिल किया। किसी भी ऋषि ने ऐसा सम्मान पहली बार हासिल किया था। साथ ही, इन्होंने भी कई मंत्र रचे हैं।

भारत के मंदिरों के बारे में यहाँ पढ़े –   भारत के अदभुत मंदिर
पौराणिक कहानियाँ यहाँ पढ़े – पौराणिक कथाओं का विशाल संग्रह

अन्य संबंधित लेख

Loading...

The post Saptarishi | सप्त ऋषि | जानिए सप्तऋषियों से जुडी ख़ास बातें appeared first on Ajab Gjab | Hindi.

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad