सत्य स्वयं सिद्ध है, स्वयं प्रकाशवान है। उसे किसी अन्य प्रकाश, प्रमाण अथवा गवाही की जरूरत नहीं होती लेकिन हम हैं कि मूर्खों की तरह सत्य को भी दीपक लेकर सिद्ध करने की कोशिश करते हैं।
मुल्ला नसरुद्दीन हमेशा देर से सोकर उठता था। एक दिन उसकी नींद भोर के वक्त ही खुल गई।
मुल्ला ने नौकर को आवाज दी और कहा- बन्ने खां, जरा दरवाजा खोलकर देख तो कि सूरज निकला है या नहीं।
सर्दियों का मौसम था, बन्ने खां बाहर तक गया और जल्दी ही लौटकर आ गया।
कहने लगा- मालिक अभी तो बाहर बड़ा अंधेरा है।
मुल्ला को उसका जवाब नागवार गुजरा और वो गुस्से में भरकर बोला- अरे बेवकूफ अक्ल से काम ले, अगर बाहर अंधेरा तो दिया लेकर क्यों नहीं देख लेता कि सूरज निकला है या नहीं।
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