2 Line Shayari, Manzile hamare kareeb se | Alienture हिन्दी

Breaking

Post Top Ad

X

Post Top Ad

Recommended Post Slide Out For Blogger

Thursday 2 November 2017

2 Line Shayari, Manzile hamare kareeb se

मंज़िले हमारे करीब से गुज़रती गयी जनाब,
और हम औरो को रास्ता दिखाने में ही रह गये।


सारे सितारे फ़लक से ज़मीं पर जब उतर कें आयेंगे,
फिर हम तेरी यादों के साथ रात भर दिवाली मनायेंगे।
रब्ब जाने क्या कशिश है इस मोहब्बत में..
इक अंजान, हमारा हकदार बन बैठा।
कैसी मुहब्बत हैं तेरी महफ़िल मे मिले तो,
अन्जान कह दिया, तनहा ज़ो मिले तो जान कह दिया।
लफ़्ज़ों में बातें बयां कर पाते तो कब का,
कर देते.. मगर बयां करना नही आता हमे।
दिल साफ़ करके मुलाक़ात की आदत डालो,
धूल हटती है तो आईने भी चमक उठते हैं।
मैने इक माला की तरह तुमको अपने आप मे पिरोया हैं,
याद रखना टूटे अगर हम तो बिखर तुम भी जाओगे।
कोई मरहम नहीं चाहिये, जख्म मिटाने के लिये,
तेरी एक झलक ही काफी है मेरे ठीक हो जाने के लिये।
अपने दिल से कह दो किसी और से मोहब्बत की ना सोचे,
एक मैं ही काफी हूँ सारी उम्र तुम्हे चाहने के लिए।
उसे न चाहने की आदत, उसे चाहने का जरिया बन गया,
सख्त था मैं लड़का, अब प्यार का दरिया बन गया।

The post 2 Line Shayari, Manzile hamare kareeb se appeared first on Shayari, Hindi Shayari.

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad