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Thursday 2 November 2017

Hindi Poetry, Unse Door Rehne ka

उस ने दूर रहने का मशवरा भी लिखा है,
साथ ही मुहब्बत का वास्ता भी लिखा है,

उस ने ये भी लिखा है मेरे घर नहीं आना,
साफ़ साफ़ लफ़्ज़ों में रास्ता भी लिखा है,

कुछ हरूफ लिखे हैं ज़ब्त की नसीहत में,
कुछ हरूफ में उस ने हौसला भी लिखा है,

शुक्रिया भी लिखा है दिल से याद करने का,
दिल से दिल का है कितना फ़ासला भी लिखा है,

क्या उसे लिखें मोहसिन क्या उसे कहें मोहसिन,
जिस ने कर के बे-जान, फिर जान-ए-जाँ भी लिखा है।

– मोहसिन नक़वी

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