बिहार के चारा घोटाले में पहला केस 27 जनवरी 1996 को दर्ज हुआ था। आरोप लगा कि इस रैकेट से पशुपालन विभाग के अधिकारी व ट्रेजरी ऑफिसर से लेकर सरकार के मंत्री और मुख्यमंत्री तक जुड़े थे। पशु के लिए खरीदे गए चारा का फर्जी बिल बनाकर ट्रेजरी को भेजा जाता था। ट्रेजरी के अफसर इस बात की बगैर जांच किए कि बिल सही है या नहीं या सच में चारा की खरीद हुई है या नहीं पैसे जारी कर देते थे।
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Saturday 23 December 2017
कैसे हुआ चारा घोटाला? नेताओं-अफसरों ने सरकारी खाजाने को ऐसे लगाई थी 900Cr की चपत
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