नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के 67 सालों के इतिहास में ये पहला मौका है जब किसी महिला वकील की तस्वीर लगाई जा रही है. सोशल पर इसकी खूब चर्चाएं हो रही हैं.
हाल ही में कपिला की तस्वीर सुप्रीम कोर्ट की लाइब्रेरी में लगाने का फैसला किया गया है.
फैसले के इंतजार में बहुत से कैदी दिन, महीने, साल या फिर पूरी जिंदगी ही सलाखों के पीछे बिता देते हैं. ऐसे में ‘बाइज्जत बरी होना’ टर्म किसी मजाक से कम नहीं.
ऐसे ही कैदियों के लिए 1979 में वकील पुष्पा कपिला हिंगोरानी ने एक जनहित याचिका दायर की. कोर्ट ने इसके बाद लगभग 40,000 विचाराधीन कैदियों को रिहा किया. ये अपनी तरह का पहला मामला था.
कपिला हिंगोरानी, जिन्हें जनहित याचिकाओं की जननी भी कहा जाता है, उनकी रंगीन तस्वीर कानून की दुनिया के जाने-माने नामों, एमसी सीतलवाड़, सीके दफ़्तरी और आर. के. जैन की तस्वीरों के साथ लगाई जाने वाली है. तस्वीर जारी करते हुए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा कि यह काम बहुत पहले हो जाना चाहिए था.
वे देश की पहली महिला वकील रहीं, जिन्होंने इंग्लैंड से कानून की डिग्री लेने के बाद विचाराधीन कैदियों के हित में कानून सुधार के लिए कई प्रयास किए.
नैरोबी में जन्मी हिंगोरानी महात्मा गांधी से बेहद प्रभावित थीं और इसलिए उन्होंने डिग्री के बाद भारत में रहना और देशहित में काम करना चुना. 60 सालों के अपनी कार्यकाल दौरान वे अपने परिवार से भी दूर रहीं. हिंगोरानी का 86 साल की आयु में 2013 में निधन हुआ.
-एजेंसी
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