यरूशलम को इसराइल की राजधानी का दर्जा देने पर ट्रंप का भारी विरोध | Alienture हिन्दी

Breaking

Post Top Ad

X

Post Top Ad

Recommended Post Slide Out For Blogger

Friday 22 December 2017

यरूशलम को इसराइल की राजधानी का दर्जा देने पर ट्रंप का भारी विरोध

यरूशलम को इसराइल की राजधानी का दर्जा देने के अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के फ़ैसले का दुनिया के तमाम देशों ने विरोध किया है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा में गुरुवार को पारित प्रस्ताव में कहा गया कि यरूशलम को इसराइल की राजधानी मानने का अमरीकी निर्णय उसे मंज़ूर नहीं है.
इसी महीने अंतर्राष्ट्रीय आलोचना को दरकिनार कर ट्रंप ने यरूशलम को इसराइल की राजधानी के तौर पर मान्यता दी थी.
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने उस प्रस्ताव को भारी समर्थन से पारित कर दिया, जिसमें यरूशलम को इसराइल की राजधानी का दर्जा रद्द करने की मांग की गई थी.
संयुक्त राष्ट्र के इस ग़ैर बाध्यकारी प्रस्ताव के समर्थन में 128 देशों ने मतदान किया, और ख़िलाफ़ में कुल जमा 9 वोट पड़े. 35 देशों ने मतदान की प्रक्रिया से खुद को अलग रखा.
प्रस्ताव में कहा गया, “यरूशलम शहर की जनसांख्यिकी या उसके दर्जे में किसी तरह का बदलाव का फैसला या कार्यवाही का कोई क़ानूनी प्रभाव नहीं है और इसकी कोई वैधता नहीं है.”
बुधवार को व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने धमकी दी थी कि इसराइल को राजधानी मानने के विरोध में लाए जा रहे प्रस्ताव का समर्थन करने वाले देशों को वो आर्थिक मदद बंद कर देंगे.
उन्होंने कहा था, “वो हमसे अरबों डॉलर की मदद लेते हैं और फिर हमारे ख़िलाफ़ मतदान भी करते हैं. उन्हें हमारे ख़िलाफ़ मतदान करने दो. हम बड़ी बचत करेंगे. हमें इससे फ़र्क नहीं पड़ता.”
इससे पहले, 19 दिसंबर को सुरक्षा परिषद में अमरीका के ख़िलाफ़ वोटिंग हुई थी. परिषद के 15 में से 14 सदस्य देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया, लेकिन अमरीका की वीटो पावर के कारण ये प्रस्ताव पास नहीं हो सका था.
इसके बाद निकी हेली ने कहा था, “आज हमने जो सुरक्षा परिषद में देखा है वो अपमान है और आप इसे नहीं भूलेंगे. संयुक्त राष्ट्र इसराइली- फलस्तीन विवाद पर फ़ायदे की जगह नुकसान की राह पर है.”
किसको कितनी मदद?
अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप अगर अपनी धमकी को अमल में लाते हैं तो कई अरब और अफ्रीकी देशों को भारी नुकसान हो सकता है.
यूएसएड द्वारा 2016 में जारी आंकड़ों के मुताबिक अमरीका मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका, मध्य एशिया, यूरोप और एशिया का कई देशों को करोड़ों डॉलर की मदद करता है.
यूएएसएड के मुताबिक 2016 में अमरीका ने मध्य पूर्व के देशों को 1300 करोड़ डॉलर की आर्थिक और सैन्य सहायता दी, दक्षिण और मध्य एशिया के देशों को 670 करोड़ डॉलर और यूरेशिया के देशों को 150 करोड़ डॉलर की मदद की.
अब जबकि सभी अरब और मुसलमान देशों ने प्रस्ताव के समर्थन में मत दिया है, तब ट्रंप क्या कार्यवाही करेंगे, इस पर सभी की नज़र रहेगी.
यरूशलम शहर को लेकर इसराइल और फ़लस्तीनी क्षेत्र के बीच विवाद है. दुनिया के सबसे पवित्र शहरों में शुमार किए जाने वाले यरूशलम पर इसराइल और फ़लस्तीन बराबर दावा ठोंकते हैं.
इसराइल इसे अपनी राजधानी मानता है लेकिन अमरीका के सिवा दुनिया के किसी देश ने यरूशलम को इसराइल की राजधानी के तौर पर मान्यता नहीं दी है.
‘खोखली धमकी’
हालांकि, इस बीच अमरीका के कई सहयोगी देश इस सख़्त बयानबाज़ी को खोखली धमकी मान रहे हैं.
एक शीर्ष राजदूत ने नादा तौफ़ीक को बताया है कि भले ही ट्रंप प्रशासन इसराइल को लेकर उठाए गए कदम पर अडिग हो लेकिन वो आर्थिक मदद रोकने जैसा कठोर क़दम नहीं उठा सकेगा.
नादा तौफ़ीक के मुताबिक, गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में अमरीका अलग-थलग ही रहेगा. दुनिया एक बार फिर राष्ट्रपति ट्रंप को बता देगी को वह इसराइल को लिए गए उनके फ़ैसले से सहमत नहीं है.
विवाद का केंद्र है यरूशलम
1967 के युद्ध में विजय के बाद इसराइल ने पूर्वी यरूशलम पर क़ब्ज़ा कर लिया था. इससे पहले यह जॉर्डन के नियंत्रण में था.
अब इसराइल अविभाजित यरूशलम को ही अपनी राजधानी मानता है. वहीं फ़लस्तीनी अपने प्रस्तावित राष्ट्र की राजधानी पूर्वी यरूशलम को मानते हैं.
यरूशलम को लेकर अंतिम फ़ैसला भविष्य की शांति वार्ताओं में लिया जाना है.
यरूशलम पर इसराइल के दावे को कभी अंतर्राष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली है. दुनिया के सभी देशों के दूतावास फिलहाल तेल अवीव में ही हैं. हालांकि राष्ट्रपति ट्रंप ने अमरीकी विदेश विभाग से दूतावास को तेल अवीव से यरूशलम लाने के लिए कह दिया है.
अरब और मुस्लिम देशों के आग्रह पर 193 सदस्य देशों वाले संयुक्त राष्ट्र में गुरुवार को आपात और विशेष बैठक बुलाई गई है. अरब और मुस्लिम देशों ने दशकों से चली आ रही अमरीकी नीति को बदलने के लिए ट्रंप की सख़्त आलोचना भी की है.
-BBC

The post यरूशलम को इसराइल की राजधानी का दर्जा देने पर ट्रंप का भारी विरोध appeared first on Legend News: Hindi News, News in Hindi , Hindi News Website,हिन्‍दी समाचार , Politics News - Bollywood News, Cover Story hindi headlines,entertainment news.

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad