दुबई। बड़ी संख्या में विदेशी श्रमिकों को रोजगार देकर उन्हें टैक्स-फ्री जीवनशैली का भरोसा देने वाले सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जैसे खाड़ी देश भी अब टैक्स लगाने की तैयारी में हैं। वस्तुओं और सेवाओं पर ये देश अगले साल 5 प्रतिशत टैक्स लगा सकते हैं। तीन साल पहले कच्चे तेल की कीमतों में आई भारी गिरावट के बाद खाड़ी देशों का रेवन्यू काफी कम हो गया था जिसकी पूर्ति करने के लिए सऊदी अरब और यूएई टैक्स लगाने वाले हैं।
नया टैक्स या वैट खाना, कपड़ों, इलेक्ट्रॉनिक्स और गैसोलिन के अलावा फोन, पानी, होटल और बिजली बिलों पर भी लगेगा। साफ है कि टैक्स का असर इन देशों में रहने वाले नागरिकों के अलावा घूमने जाने वाले पर्यटकों की जेब भी ढीली करेगा। दुबई में नौकरी की तलाश कर रही 23 वर्षीय छात्रा एल्दा नगोम्बे का कहना है कि अगले साल कीमत वृद्धि से पहले यदि कोई वस्तु वह खरीदना चाहती हैं तो वह मेकअप किट है। उन्होंने बताया, ‘मैं मेकअप के बिना रह ही नहीं सकती। मैं थोड़ी डरी हुई हूं क्योंकि दुबई में पहले ही सब कुछ वास्तव में बहुत महंगा है। इस पर 5% टैक्स लगाना बड़ा अजीब ख्याल है।’
टैक्स से किराए, रियल एस्टेट बिक्री, कुछ विशेष इलाज, एयरलाइन टिकट्स और स्कूट ट्यूशन को छूट दी गई है। हालांकि यूएई में हायर एजूकेशन पर टैक्स लगेगा। आने वाले सालों में अन्य खाड़ी देश भी अपनी वैट स्कीम लागू करेंगे। स्टोर्स, जिम और अन्य रिटेलर्स भी 1 जनवरी, 2018 से टैक्स लागू होने से पहले खरीददारों को स्टॉक जमा करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
टैक्स लगने के बाद कीमतों में आने वाली 5 प्रतिशत की बढ़त के बावजूद, सऊदी का टैक्स रेट यूरोपीय देशों के औसत वैट रेट 20 प्रतिशत से कम है। अबू धाबी के एक समाचार पत्र के मुताबिक, यूएई में जीवनयापन अगले साल से वैट के कारण 2.5 प्रतिशत महंगा हो जाएगा और सैलरी उतनी ही रहेगी।
-एजेंसी
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