सिद्धों की वज्रयान शाखा में ही चौरासी सिद्धों की परंपरा की शुरुआत हुई। राहुल सांस्कृतयान के अनुसार तिब्बत के सिद्धों की परंपरा ‘सरहपा’ से हुई और ‘नरोपा’ पर पूरी हुई मानी जाती है। सरहपा चौरासी सिद्धों में सर्वप्रथम है। इस प्रकार इसका प्रमाण अन्यत्र भी मिलता है। हालांकि इस विषय में विद्वानों में मतभेद भी हैं। इनमें से कुछ के नाम यहां प्रस्तुत हैं-
1. लूहिपा,
2. लोल्लप,
3. विरूपा,
4. डोम्भीपा,
5. शबरीपा,
6. सरहपा,
7. कंकालीपा,
8. मीनपा,
9. गोरक्षपा,
10. चोरंगीपा,
11. वीणापा,
12. शांतिपा,
13. तंतिपा,
14. चमरिपा,
15. खंड्पा,
16. नागार्जुन,
17. कराहपा,
18. कर्णरिया,
19. थगनपा,
20. नारोपा,
21. शलिपा,
22. तिलोपा,
23. छत्रपा,
24. भद्रपा,
25. दोखंधिपा,
26. अजोगिपा,
27. कालपा,
28. घोम्भिपा,
29. कंकणपा,
30. कमरिपा,
31. डेंगिपा,
32. भदेपा,
33. तंघेपा,
34. कुकरिपा,
35. कुसूलिपा,
36. धर्मपा,
37. महीपा,
38. अचिंतिपा,
39. भलहपा,
40. नलिनपा,
41. भुसुकपा,
42. इन्द्रभूति,
43. मेकोपा,
44. कुड़ालिया,
45. कमरिपा,
46. जालंधरपा,
47. राहुलपा,
48. धर्मरिया,
49. धोकरिया,
50. मेदिनीपा,
51. पंकजपा,
52. घटापा,
53. जोगीपा,
54. चेलुकपा,
55. गुंडरिया,
56. लुचिकपा,
57. निर्गुणपा,
58. जयानंत,
59. चर्पटीपा,
60. चंपकपा,
61. भिखनपा,
62. भलिपा,
63. कुमरिया,
64. जबरिया,
65. मणिभद्रा,
66. मेखला,
67. कनखलपा,
68. कलकलपा,
69. कंतलिया,
70. धहुलिपा,
71. उधलिपा,
72. कपालपा,
73. किलपा,
74. सागरपा,
75. सर्वभक्षपा,
76. नागोबोधिपा,
77. दारिकपा,
78. पुतलिपा,
79. पनहपा,
80. कोकालिपा,
81. अनंगपा,
82. लक्ष्मीकरा,
83. समुदपा
84. भलिपा।
इन नामों के अंत में ‘पा’ जो प्रत्यय लगा है, वह संस्कृत ‘पाद’ शब्द का लघुरूप है।
-एजेंसी
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