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Saturday 23 December 2017

Sanskriti University के कुलाधिपति ने इंजीनियरिंग शिक्षा के संकट पर रखा अपना पक्ष

राज्य सभा टीवी के कार्यक्रम में Sanskriti University के कुलाधिपति ने कहा निजी शिक्षण संस्थानों को मिले मदद

नई दिल्ली। संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सचिन गुप्ता ने राज्य सभा टीवी के एक घण्टे के कार्यक्रम में देश में इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी शिक्षा में आए संकट पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि भारत में इंजीनियरिंग शिक्षा से जुड़े शिक्षण संस्थानों की स्थापना का मकसद तकनीकी शिक्षा व शोध को बढ़ावा देना था ताकि देश के विकास के लिए जरूरी टेक्नोलॉजी तैयार हो सके और वह इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सके लेकिन निजी शिक्षण संस्थानों को पर्याप्त प्रोत्साहन न मिलने से वह एक-एक कर बंद हो रहे हैं। प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज क्यों बंद हो गए हैं या हो रहे हैं इस दिशा में ऑल इंडिया कौंसिल फॉर टेक्निकल एज्यूकेशन (एआईसीटीई) को नए सिरे से विचार करते हुए मदद करनी चाहिए।

श्री गुप्ता का कहना है कि कॉलेजों में एडमीशन में आई गिरावट की वजह शिक्षा की खराब क्वॉलिटी, जॉब प्लेसमेंट और पूर्व छात्रों से मिले फीडबैक को आधार मानना उचित नहीं है। असल में एआईसीटीई ने ही तय किया था कि जिन इंजीनियरिंग कॉलेजों में कुल सीटों के मुकाबले 30 फीसदी से कम एडमीशन हो रहे हैं उन्हें बंद किया जाएगा। देश में एआईसीटीई की मान्यता रखने वाले 10 हजार से अधिक इंजीनियरिंग कॉलेज हैं जिनमें 37 लाख से कुछ ज्यादा सीटें हैं। इस तरह बीती अवधि में सिर्फ 10 लाख सीटें ही भरी जा सकीं। श्री गुप्ता ने कहा कि तकनीकी शिक्षा के माध्यम से भारतीय युवाओं को रोजगार और नौकरी दिलाने का उद्देश्य सरकार के साथ-साथ निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों का भी है। इंजीनियरिंग में छात्रों की दिलचस्पी घटने की वजह युवाओं में नौकरी लायक पढ़ाई या कोर्स करने की इच्छा खत्म होना या युवाओं की क्षमता को संदिग्ध मानना उचित नहीं है। दरअसल, इस दिशा में मानव संसाधन मंत्रालय के साथ ही एआईसीटीई को निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों को बंद करने की बजाय उनकी मूलभूत समस्याओं का निराकरण किया जाना उचित होगा। घटती छात्र संख्या को सबक मानने की बजाय इन संस्थानों को नए सिरे से अपनी उपयोगिता साबित करने का मौका देना तर्कसंगत होगा। तकनीकी शिक्षा में शैक्षणिक गुणवत्ता कैसे बढ़े इसकी तरफ सरकार और एआईसीटीई को भी संजीदा होना होगा। निजी शिक्षण संस्थानों के बंद होने से लाखों युवा तकनीकी शिक्षा से वंचित रह जाएंगे जोकि उचित नहीं है।

गौरतलब है कि 26 अगस्त, 2011 को अस्तित्व में आया राज्यसभा टीवी चैनल ऊपरी सदन की कार्यवाही को कवर करने के साथ ही देश की मूलभूत समस्याओं पर विचार और मार्गदर्शन के लिए समय-समय विद्वतजनों को आमंत्रित करता है।

22 दिसम्बर शुक्रवार को प्रोड्यूसर निधि चतुर्वेदी और नीलू व्यास के मार्गदर्शन में इंजीनियरिंग शिक्षा के संकट पर परिचर्चा हुई जिसमें मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, Sanskriti University के कुलाधिपति सचिन गुप्ता, इंडियन एक्सप्रेस की पत्रकार रितिका चोपड़ा, एआईसीटीई के चेयरमैन अनिल डी. सहस्रबुद्धे, आईआईटी कानपुर के पूर्व निदेशक संजय धांडे के साथ ही Sanskriti University के इंजीनियरिंग के छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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