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Tuesday, 16 January 2018

विवेकानंद पालिक्लीनिक एवं आयुर्विज्ञान सँस्थान को एन.ए.बी.एच. की मान्यता

सकारात्मक सोच व सेवाभाव से मिली सफलता-स्वामी मुक्तिनाथानन्द जी महाराज

लखनऊ। विवेकानंद पालिक्लीनिक एवं आयुर्विज्ञान सँस्थान लखनऊ को भारतीय गुणवत्ता परिषद द्वारा एन.ए.बी.एच. की पूर्ण मान्यता राष्ट्रीय अस्पताल मान्यता बोर्ड मिला है। मान्यता की वैधता तीन वर्ष के लिए है। लखनऊ का यह दूसरा और चैरिटेबल ट्रस्ट का पहला अस्पताल है।

यह बातें विवेकानंद पालिक्लीनिक एवं आयुर्विज्ञान सँस्थान के सचिव स्वामी मुक्तिनाथानन्द जी महाराज ने अस्पताल को एन.ए.बी.एच. की मान्यता मिलने पर प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान कही।

विदित हो कि धर्माथ अस्पताल लखनऊ का विवेकानंद पालिक्लीनिक एवं आयुर्विज्ञान सँस्थान पहला अस्पताल है जिसे एन.ए.बी.एच. की मान्यता मिली है। स्वामी मुक्तिनाथानन्द जी महाराज ने पत्रकारों के सवाल का जबाव देते हुए कहा कि अस्पताल को यह गौरव स्वामी विवेकानंद जी की दृष्टि का अनुसरण करते हुए मिला। उन्होंने कहा कि रोगियों की सेवा ईश्वर पूजन से बढकर है। स्वामी विवेकानंद जी कहते है कि नर सेवा ही सर्वश्रेष्ठ सेवा है तथा दरिद्र नारायण की सहायता व सेवा ही सबसे बड़ी सेवा है। स्वामी जी ने बताया कि अस्पताल को यह गौरव स्वामी विवेकानंद जी के जन्मदिन पर प्राप्त हुआ जो बहुत ही सुखद है। विदित हो कि एन.ए.बी.एच. की मान्यता केवल तीन वर्ष के लिए होती है तथा इसे प्राप्त करने की प्रक्रिया काफी जटिल होती है। किसी भी अस्पताल को यह मान्यता सारे मानक जैसे सँसाधन, स्वच्छता व पारदर्शिता पूरे होने पर ही दिया जाता है। एन.ए.बी.एच (National Accreditation Board for Hospitals and Healthcare Providers) का मापदंड पूरा कर अस्पताल ने एक नया इतिहास बनाया है। स्वामी मुक्तिनाथानन्द जी ने बताया कि विवेकानन्द पालिक्लीनिक एवं आयुर्विज्ञान सँस्थान लखनऊ ही नही समस्त भारत व नेपाल में चिकित्सा सेवा के क्षेत्र में अप्रतिम योगदान दे रहा है। प्रेस कांफ्रेंस मेँ चिकित्सा अधीक्षक डाक्टर आर.के.शर्मा, हास्पिटल सुपरिटेंडेंट ब्रिगेडियर आर.एन. रस्तोगी, क्वालिटी मैनेजर दुर्जय सरकार आदि मौजूद रहे।

एन.ए.बी.एच की मान्यता के बाद मरीजो को अत्याधुनिक, फलदायी, सुरक्षित, जल्दी तथा किफायती दर पर चिकित्सा सुविधाएं मिलेंगी। स्वामी मुक्तिनाथानन्द जी ने बताया कि इससे मरीजो को अन्य सुविधाएं भी मिलेगी तथा इससे अस्पताल व डाक्टर की जिम्मेदारियां भी बढ जाएगी। स्वामी मुक्तिनाथानन्द जी ने बताया कि जनसेवा व रोगीसेवी के लिए सँस्थान सतत् प्रयासरत है।

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