पेइचिंग। डोकलाम विवाद के बाद अब भारत और चीन के बीच अरुणाचल प्रदेश अगले बड़े विवाद की वजह बन सकता है। चीन ने बुधवार को कहा है कि उसने कभी भी भारत के अभिन्न राज्य अरुणाचल प्रदेश का अस्तित्व स्वीकार ही नहीं किया है और यह दक्षिण तिब्बत का हिस्सा है। इस दौरान अरुणाचल प्रदेश में अपने सैनिकों की घुसपैठ पर चीन ने चुप्पी साध ली। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने अरुणाचल में घुसपैठ की मीडिया रिपोर्ट्स के बाद उठे सवालों पर यह प्रतिक्रिया दी।
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि चीनी सैनिक भारत के अरुणाचल प्रदेश में सियांग जिले में 200 मीटर तक घुस गए थे। गेंग ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा, ‘सीमा मसले पर हमारा रुख हमेशा से स्पष्ट और एक जैसा रहा है। हमने कभी तथाकथित अरुणाचल प्रदेश का अस्तित्व स्वीकार नहीं किया है लेकिन आप जिस स्थिति की बात कर रहे हैं, मुझे उसकी जानकारी नहीं है।’
बता दें कि चीन अरुणाचल प्रदेश के दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा होने का दावा करता रहा है। भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के 3 हजार 488 किलोमीटर पर सीमा विवाद है। रिपोर्ट के मुताबिक चीनी सैनिकों ने बीते महीने निर्माण साधनों के साथ अरुणाचल प्रदेश में घुसने की कोशिश की थी लेकिन भारतीय सैनिकों ने यह कोशिश नाकाम कर दी थी। चीनी सैनिक कथित तौर पर अपने साथ लाए मशीन छोड़कर चले गए थे।
गेंग ने कहा, ‘मैं यहां उल्लेख करना चाहता हूं कि चीन और भारत के बीच सीमा संबंधी मामलों के लिए एक अच्छी तरह से विकसित प्रणाली है। इस प्रणाली के तहत ही चीन और भारत सीमा संबंधी मामलों को सुलझा सकते हैं। सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना चीन और भारत दोनों के लिए उपयुक्त है।’ गेंग से जब यह पूछा गया कि यह डोकलाम की तरह ही भारत और चीन के बीच दूसरा विवाद है तो उन्होंने कहा, ‘जो विवाद पिछले साल हुआ था उसे अच्छी तरह सुलझा लिया गया।’
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जब 22 दिसंबर को भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल अपने चीनी समकक्ष के साथ नई दिल्ली में 20वें दौर की सीमा वार्ता कर रहे थे, उसी समय चीनी सैनिक अरुणाचल प्रदेश में घुसे थे। ताजा वार्ता के परिणामों पर गेंग ने कहा, ‘दोनों पक्षों ने यह स्पष्ट कर दिया कि दोनों देश चीन-भारत संबंधों को बेहतर बनाने के लिए लगातार साथ काम करेंगे।’
बता दें कि बीते साल 16 जून को दोनों देशों के बीच डोकलाम विवाद उस समय पैदा हुआ था जब चीनी सैनिकों ने यहां सड़क निर्माण शुरू कर दिया था। भूटान भी इस इलाके पर अपना दावा करता है। भारतीय सैनिकों ने इस निर्माण को रोकने के लिए हस्तक्षेप किया था। भारत का कहना था कि सड़क निर्माण भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को खतरा है। यह विवाद 28 अगस्त को तब खत्म हुआ जब चीन ने सड़क निर्माण रोका और भारत ने अपने सैनिक वापस बुलाए।
-एजेंसी
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