ईरान के प्रशासन ने देश में कई दिनों से चले रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनों को ख़त्म करने की अपनी कोशिशें तेज़ कर दी हैं.
रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख मोहम्मद अली जाफ़री का कहना है कि उन्होंने इन विरोध प्रदर्शनों से निपटने के लिए सैन्य ताक़त लगा दी है. जाफ़री ने इन प्रदर्शनों को ‘नया देशद्रोह’ कहा.
उन्होंने ऐलान किया कि अब अशांति ख़त्म होने के क़गार पर है.
हालांकि सोशल मीडिया पर प्रदर्शनों की ख़बरें लगातार आ रही हैं लेकिन ज़मीन पर हालात अब कैसे हैं, ये कहना मुश्किल है.
यूरोप तक पहुंची विरोध प्रदर्शन की तपिश
पेरिस और ब्रसेल्स में रह रहे ईरान से निर्वासित कुछ लोगों ने प्रदर्शन कर यूरोपीय सरकारों का ध्यान खींचने की कोशिश की है ताकि वह ईरान में हो रहे प्रदर्शनों का समर्थन करें.
पेरिस में मौजूद ईरानी दूतावास के बाहर नेशनल काउंसिल ऑफ रेसिस्टेंस ऑफ़ ईरान के प्रवक्ता अवचीन अल्वी ने कहा, ”ईरान में हो रहे प्रदर्शन घर में ही शुरू हुए लेकिन अब इसे अंतर्राष्ट्रीय मदद की ज़रूरत है.
सच ये है कि इस आंदोलन का जन्म ईरान में हुआ है. ये ईरानी लोगों की वजह से फैला. ईरान की पीपुल्स मुजाहिदीन और ईरान रेसिस्टेंस समूह का नेटवर्क अब भी ईरान में मौजूद है, जो ईरानी लोगों के साथ इस लड़ाई में खड़े हैं. वह उनके साथ ज़मीन पर काम कर रहे हैं न कि विदेश में हैं.
जिस हालात से ईरान इस वक्त गुज़र रहा है. ऐसी सूरत में ईरानी लोगों के साथ एकजुटता में खड़ा होना न सिर्फ ईरानी लोगों का कर्तव्य है बल्कि उन तमाम सरकारों का जिन्हें लोकतंत्र में विश्वास है.”
संयुक्त राष्ट्र का दखल
इस बीच संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के उच्चायुक्त ज़ैद-राद-अल-हुसैन ने ईरान से अपील की है कि वह अपने सुरक्षा बलों को झड़पों से बचने के लिए कहे.
ज़ैद-राद-अल-हुसैन की प्रवक्ता एलिजाबेथ थॉसेल्स ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि उनके ऑफ़िस को ऐसी रिपोर्ट मिली है, जिसमें कहा गया है कि पिछले एक हफ़्ते में ईरान में 20 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और सैंकड़ों लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.
दरअसल, इन झड़पों की शुरुआत पिछले गुरुवार को मसहाद शहर से हुई थी, जिसमें अब तक 21 लोग मारे जा चुके हैं.
शुरुआत में प्रदर्शनकारी महंगाई और भ्रष्टाचार का विरोध कर रहे थे, लेकिन बाद में लोगों का गुस्सा व्यापक सरकार विरोधी भावना में तब्दील हो गया.
2009 में हुए विवादास्पद राष्ट्रपति चुनाव के बाद से ये सबसे बड़ा प्रदर्शन है.
जनरल ने और क्या कहा?
रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख मोहम्मद अली जाफ़री ने कहा, ”आज हम ये कह सकते हैं कि ये 96 देशद्रोह का अंत है.” जाफ़री मौजूदा साल 2018 की ओर इशारा कर रहे थे, जो फ़ारसी कैलेंडर में साल 1396 है.
उन्होंने आगे कहा, ”सुरक्षा को लेकर हमारी तैयारी और जागरूक लोगों ने ”दुश्मनों” को हराया है. जबकि गार्ड्स ने केवल तीन प्रांतो में ”सीमित” तरीके से हस्तक्षेप किया.
हर जगह अधिकतम 1500 लोग ही हैं और पूरे देश में उत्पात मचाने वालों की संख्या 15,000 से ज़्यादा नहीं थी.
ईरान मे बिगड़े हालात के लिए एंटी-रिवॉल्यूशनरी एजेंट, सम्राटवादियों के समर्थक ज़िम्मेदार हैं.
अमरीका की पूर्व विदेश सचिव हिलेरी क्लिंटन ने ईरान में दंगे भड़काने, अराजकता, असुरक्षा और साजिश करने की घोषणा की थी.
दुश्मनों ने इस्लामिक ईरान के खिलाफ सांस्कृतिक, आर्थिक और सुरक्षा के खतरे पैदा किए.”
जनरल और खामनेई का इशारा किसकी ओर?
जनरल जाफ़री का बयान ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामनेई के बयान से मिलता-जुलता है. अयातुल्ला अली खामनेई ने बिना किसी का नाम लिए दुश्मन देशों को ज़िम्मेदार ठहराया था.
जानकार मानते हैं कि उनका इशारा अमरीका, इसराइल और सऊदी अरब की ओर था.
जनरल ने इन प्रदर्शनों के लिए एक पूर्व अधिकारी को भी दोषी ठहराया है.
जानकारों का मानना है कि जनरल का इशारा पूर्व राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद की ओर था, जो पिछले कई हफ़्तों से सरकारी अधिकारियों खासकर न्यायपालिका प्रमुख अमोली लारजनी की आलोचना करते रहे हैं.
सरकार के समर्थन में हुई रैलियां
ईरान के सरकारी टीवी चैनलों ने कुछ रैलियों का प्रसारण किया था. इन रैलियों में लोगों ने ईरानी झंडे और सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामनेई की तस्वीरें ले रखी थी.
क्यूम शहर में हो रही रैली में लोगों ने अमरीकी सैनिकों के लिए मौत के नारे लगाए.
वहीं दूसरी जगहों पर लोगों को ‘हमारी नसों में खून, हमारे नेता को एक उपहार है.’ और ‘राजद्रोही दंगाइयों को फांसी की सज़ा दो’ के नारे लगाते सुना गया.
क्या प्रदर्शन अब भी हो रहे हैं?
बुधवार रात भर से झड़पों की ख़बरें कम ही आई हैं.
सरकारी टीवी के मुताबिक मध्य इस्फहान प्रांत में एक बैंक और पुलिस स्टेशन पर गोलीबारी की गई है लेकिन किसी तरह के नुकसान की ख़बर नहीं है.
राजधानी तेहरान में रात के वक़्त पुलिस बल की तैनाती कम नज़र आई.
अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप लगातार प्रदर्शनकारियों के समर्थन में ट्वीट करते आए हैं.
संयुक्त राष्ट्र में अमरीकी दूत निकी हेली ने अशांति फैलाने के लिए बाहरी दुश्मनों को ज़िम्मेदार ठहराने के ईरान के दावे को खारिज कर दिया.
हेली ने कहा, ‘ईरान की जनता आज़ादी के लिए रो रही है. वे लोग जिन्हें आज़ादी पसंद है उन्हें ईरान का साथ देना चाहिए.’
-BBC
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