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Monday, 15 January 2018

नहरों की सिल्ट सफाई में होता है लाखो का खेल

— कागजो पर हो जाती है नहरों की सफाई, पैसा खाते हैं अफसर
— सिचाई बन्धु की बैठक में पेश होते हैं फर्जी आंकड़े, किसानों की सुध नही
— (रोहित यादव की रिपोर्ट)
शाहजहांपुर। सरकार भले ही किसानों के लिए तमाम योजनाएं चलाएं लेकिन जिलो में बैठे अफसर सरकार की मंशा पर हमेशा पानी फिरते रहते हैं। प्रदेश में सरकार किसी की भी हो लेकिन अधिकारी खाओ कमाओ वाली ही नीति पर चलते रहते हैं। इसका ताजा उदाहरण जिले में निकलने वाली नेहरो की हालत देखकर लगाया जा सकता है। जिले के कई ऐसी नहरे हैं जहां सिल्ट सफाई के नाम पर सरकार तो लाखों रुपया देती है लेकिन जिले में बैठे अफसर भारी गोलमोल करके सारा रुपया हजम कर जाते हैं और कागजों पर ही नहरों की सफाई दर्शा दी जाती है।
जिले की अधिकतर नहरे सूखी पड़ी है आने वाले समय में किसानों को अपनी फसलों के लिए पानी चाहिए होगा लेकिन सूखी पड़ी नेहरो से उन्हें कोई उम्मीद नहीं रह गई है। जनपद की कई है ऐसी नहरे हैं जिनकी सफाई वर्षों से नहीं हुई है और ना ही पानी की एक बूंद तक आई है। तो वही जिले में बैठे अफसर नहरों के सफाई और किसानों का दर्द बता कर शासन से लाखों करोड़ों रुपए स्वीकृत करा लेते हैं लेकिन नहरों में एक पाई भी खर्च नहीं किया जाता है। विभागीय बैठक में तमाम बड़ी-बड़ी बातें होती है और कागजों पर नेहरु की सिल्ट सफाई दिखा दी जाती है जबकि हकीकत में सफाई का नामोनिशान तक नहीं होता है। किसान इस आस में रहता है कि इस साल नहर से पानी आएगा तो उसके खेतों की फसल की सिंचाई हो जाएगी लेकिन उसका यह सपना पूरे साल सपना बनकर ही रह जाता है और नहर में पानी की बूंद तक नहीं आती है।
सिंचाई बंधु की बैठक में किसानों को लेकर तमाम बड़े बड़े दावे होते हैं लेकिन इन दावों की हकीकत जमीन पर कहीं भी दिखाई नहीं पड़ती है। अन्नदाता अफसर और नेताओं की कमाई का जरिया बनकर रह गया है।

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