पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (पीएसयू) बैंक इस वक्त 1969 में हुए नेशनलाइजेशन के बाद सबसे बड़ी क्राइसिस से गुजर रहे हैं। एक तरफ जहां उनका प्रॉफिट अभी 10 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। वहीं, पहले विजय माल्या और अब नीरव मोदी-मेहुल चौकसी ने उनकी साख पर बट्टा लगा दिया है। यही नहीं अब आम आदमी के मन में भी सवाल उठने लगे हैं कि क्या उनका पैसा बैंकों में सेफ है। अकेले पीएसयू बैंकों का लोन डिफॉल्ट 7.5 लाख करोड़ रुपए के पार जा चुका है। यह बात भी अब लोग कहने लगे हैं कि बैंक कॉरपोरेट पर मेहरबान है, जबकि आम आदमी पर सख्ती करते हैं। पीएसयू बैंकों का परफॉर्मेंस इस बात को और मजबूत कर रहा है। 1992 के ग्लोबलाइजेशन के बाद तेजी से उभरे प्राइवेट सेक्टर बैंकों ने पीएसयू से ज्यादा बेहतर परफॉर्म किया है। पिछले 10 साल में जहां पब्लिक सेक्टर बैंकों का प्रॉफिट गिरता गया है वहीं, टॉप-5 प्राइवेट बैंकों का प्रॉफिट एवरेज 574 फीसदी की दर से बढ़ा है।
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Wednesday 21 February 2018
मुनाफा कमाने में 10 साल पीछे गए टॉप-5 पीएसयू बैंक, प्राइवेट बैंकों ने दिखाई 575% ग्रोथ
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