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Tuesday 20 February 2018

डाइट की शह पर फर्जी विकलांग प्रमाणपत्र की आड़ में मुन्नाभाई चला रहे स्कूल!

महकमे के अधिकारी मेहरबान, डायट ने नही भेजी जांच के लिए सूची
हरदोई।20 फरवरी  नकल ही नही अब फर्जी शिक्षकों के मामले में भी जिले पर बदनामी का दाग लग चुका है। वजह है कि यहां मुन्नाभाईयों को जिला स्तरीय अधिकारियों का संरक्षण मिलता है। 72825 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया व गणित विज्ञान विषय के शिक्षकों की भर्ती में फर्जी शिक्षकों के बेनक़ाब हुए चेहरे अभी आप भूल भी नही होंगे इसी बीच फर्जी शिक्षकों का एक और गैंग सामने आया है। द की पड़ताल में पता चला है कि हरदोई में विकलांग कोटे में भर्ती हुए दर्जनों शिक्षकों को महकमा बचाने की फिराक में है। इसके लिए विभागीय अधिकारियों ने शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों को ही नही बल्कि सरकार और उच्चतम न्यायालय को भी गुमराह करने की कोशिश की।
दरअसल फर्जी शिक्षकों के एक बड़े प्रकरण की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से विकलांग कोटे में लगे सभी शिक्षकों के दस्तावेज तलब किये थे। मामले की जांच में सामने आया था कि यूपी में 21 फीसदी शिक्षक फर्जी विकलांग प्रमाण पत्र पर नौकरी कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि प्रकरण की गंभीरता देखते हुए इन शिक्षकों की शारीरिक क्षमता व अक्षमता को सामने मेडिकल कराकर परखा जाए। निदेशालय के आदेश पर जिले के दर्जन भर शिक्षकों को छोड़कर शेष सूची भेज दी गयी थी। सूची के आधार पर अन्य शिक्षकों ने अपनी जांच भी करा ली थी। जबकि लगभग दर्जन भर शिक्षकों को जांच के लिए नही भेजा गया। सूत्रों के अनुसार डायट में तैनात शिक्षक धीरेश श्रीवास्तव, बावन ब्लॉक के मगनपुर विद्यालय में तैनात राजेन्द्र पटारिया, बिलग्राम ब्लॉक के पसनेर विद्यालय में तैनात अर्चना देवी समेत दर्जन भर शिक्षकों की सूची ही डायट से नही भेजी गई, जिससे इन शिक्षकों के मूल दस्तावेजों की जांच नही हो सकी। 2007 में प्रशिक्षण प्राप्त इन शिक्षकों की नियुक्ति सन 2014 में हुई थी। इन शिक्षकों की सूची न भेजने से इनके विकलांग प्रमाण पत्र पर संदेह होना लाजमी है। शायद इसीलिए डायट प्रशासन ने इन्हें बचाते हुए जांच के लिए सूची नही भेजी।सूत्रों का यह भी कहना है कि डायट के अधिकारियों की इस करतूत से साफ है कि यह शिक्षक फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र पर नौकरी कर रहे हैं। विभगीय सांठगाठ के चलते इन्हें बचाया जा रहा है। इस मामले में डायट प्राचार्य अपना मुहं खोलने को तैयार नही है।

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