नई दिल्ली। जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस एसए अब्दुल नजीर की बेंच ने उत्तर प्रदेश के एनजीओ लोक प्रहरी की पिटीशन पर यह फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव के लिए नॉमिनेशन करने वाले उम्मीदवार को उसकी पत्नी और आश्रितों की आय का स्रोत और सम्पत्तियों का ब्योरा देना जरूरी कर दिया है। अभी तक उन्हें हलफनामे में सिर्फ अपनी चल-अचल संपत्तियों का ब्यौरा देना होता था।
पिटीशन में क्या मांग की गई थी?
लोक प्रहरी ने सांसदों और विधायकों को आय से ज्यादा सम्पत्ति हासिल करने से रोकने के लिए कदम उठाने की मांग की थी। एनजीओ चाहता था कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार के नॉमिनेशन फॉर्म में इनकम सोर्स का कॉलम भी जोड़ा जाए। साथ ही वे अपनी पत्नी और आश्रितों की आय का स्रोत और संपत्ति का ब्योरा भी पेश करें।
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सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए 12 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
CBDT से SC का सवाल
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सेंटर बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) से हलफनामे के जरिए एक जवाब देने को कहा था। इसमें कोर्ट ने पूछा था कि उन विधायकों और सांसदों पर क्या कार्रवाई की गई जिनकी एसेट्स दो चुनावों के बीच अचानक 500 फीसदी तक बढ़ गई। इस पर सीबीडीटी ने कोर्ट को बताया कि ऐसे लोगों के खिलाफ जांच जारी है।
37 सांसदों और 257 विधायकों की आय से अधिक संपत्ति
सितंबर में हुई सुनवाई के दौरान सीबीडीटी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामा में कहा था कि लोकसभा के 26 और राज्यसभा के 11 सांसदों और 257 विधायकों ने आय से अधिक संपत्ति बनाई है। सीबीडीटी ने बताया कि इस मामले की जांच इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने की है।
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शुरुआती तौर पर लोकसभा के 26 में 7 सांसदों के बेहिसाब संपत्ति बनाने का पता चला है। बोर्ड ने कहा था कि वह इन 7 सांसदों के खिलाफ जांच करेगा। साथ ही यह भी कहा था कि 257 में से 98 विधायकों की संपत्ति में भी बहुत ज्यादा बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। बाकी 42 विधायकों की संपत्ति की भी जांच की जा रही है।
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