लखनऊ। बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने मोदी सरकार द्वारा कोयला क्षेत्र का भी निजीकरण करके प्राइवेट कम्पनियों को कोयला खदानों में उत्पादन व इस्तेमाल की अनुमति देने के फैसले को ‘धन्नासेठों का तुष्टीकरण’ करने की एक और नीति बताया है। उन्होंने कहा है कि कुछ मुठ्ठीभर बड़े-बड़े पूँजीपतियों व धन्नासेठों के हित में तो एक-के-बाद-एक लगातार काम किये जा रहे हैं परन्तु देश के सवा सौ करोड़ ग़रीबों, मज़दूरों, किसानों, युवाओं, बेरोज़गारों व अन्य मेहनतकश लोगां से किये गये ‘अच्छे दिन’ के वायदे आदि क्यों नहीं पूरे किये जा रहे हैं, जबकि इनमें ही देश का असली हित निहित है। मायावती ने कहा है कि कोयला जैसी महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय सम्पत्ति का भी दोहन करने के लिये इसका निजीकरण करना एक बड़ी चिन्ता की बात हैं।
मायावती ने आईपीएन को दिए अपने बयान में कहा कि मोदी सरकार हर बड़े व महत्त्वपूर्ण क्षेत्र का निजीकरण करके एक ऐसे गुप्त एजेण्डे पर काम कर रही है जिससे दलितों व पिछड़़े वर्गें के लिये रोजगार में आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित तो हो ही रही है, इससे देश का भी अहित हो रहा है। उन्होंने कहा कि इसका ख़ामियाजा पूरे देश को काफी लम्बे समय तक भुगतना पड़ेगा, क्योंकि पूरा देश खुली आंखों से देख रहा है कि निजी क्षेत्र की कम्पनियां देश को लूटने में लगी हुई हैं और बीजेपी सरकार अपना कान, आंख सब कुछ बन्द किये हुये है। देश लुट रहा है और सेवादार व चौकीदार सब सत्ता के नशे में धुत नज़र आ रहे है।
मायावती ने कहा कि कुल मिलाकर देश में कानून-व्यवस्था व अपराध-नियन्त्रण की तरह आर्थिक जगत में भी पूरी तरह से अराजकता व जंगलराज लागू हो गया लगता है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार अपने आपको कानून व संविधान से ऊपर मानकर अनुचित व्यवहार कर रही है। उसे लगता है कि बीजेपी की सरकार द्वारा किये जा रहे हर अनैतिक व आपराधिक कृत्य वाले काम भी देशहित में ही है।
मायावती ने कहा कि मोदी सरकार के लगभग चार वर्ष के कार्यकाल में देश की आमजनता ने यह महसूस कर लिया है कि देश की सम्पत्ति को लूटने व लूटाने के मामले में कांग्रेस व बीजेपी दोनों ही पार्टियों की सरकारें चोर-चोर मौसेरे भाई ही लगते हैं, जो कि देशहित में अत्यन्त ही घातक प्रवृत्ति है।
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