>> वर्तमान वर्ष के जनवरी माह में हुये 614 दंगा ,नंबर -1 पर गया ,दूसरे पर सारण एवं तीसरे पर राजधानी जिला पटना
>> कानून क्या करें ,राजनेताओं का बयान दे रहा हिंसा को हवा
>> अफवाह फैलाने के लिए सोशल मीडिया को बनाया जा रहा हथियार
>> इंसान रहेंगे सुरक्षित ,तब तो जाएंगे मंदिर और मस्जिद
रवीश कुमार मणि
पटना ( अ सं ) । देश के बंटवारे के समय 1946 में हुये दंगों में नेताओं का चरित्र कैसा रहा हैं ,इसपर देश-दुनिया के मशहूर शायरों में शुमार डा कलीम आजिज साहब ने बहुत खूब और पुरी सच्चाई के साथ लिखा हैं – दामन पे कोई छींट, न खंजर पे कोई दाग। तुम कत्ल करो हो कि करामात करो हो….
कुछ ऐसी ही स्थिति से बिहार का वर्तमान गुजर रहा हैं । कानून क्या करें ,राजनेताओं का बयान हिंसा को हवा दे रहे हैं और ऐ जनाब अपने को पाक-साफ बता रहे हैं ।जिस तरह से बिहार जल रहा हैं ,इसके दोषी कौन है और सवाल यह हैं कि इंसान सुरक्षित रहेंगे तब तो मंदिर या मस्जिद जाएंगे ।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी आकड़े पर गौर करें तो पिछले 10 वर्षों ( 2008 – 2017 ) में बिहार में 1 लाख 8 हजार 332 दंगा बिहार में हुये हैं एवं वर्तमान वर्ष के जनवरी माह में 614 दंगा हुआ हैं । इसमें प्रथम स्थान में गया ,दूसरे स्थान पर सारण एवं तीसरे स्थान पर राजधानी पटना हैं । सूबे के सिर्फ दो ऐसे जिले हैं शिवहर और लखीसराय ,जहां कोई दंगा नहीं हुआ हैं । आकड़े पर गैर करें तो बीते वर्ष 2008 से 2015 तक लगातार ,प्रतिवर्ष दंगा की घटनाएं बढ़ता गया । वर्ष 2016 -17 में दंगा में कमी आयीं हैं ।
रामनवमी के पूर्व से ही सबसे पहले भागलपुर में दंगा की आग लगी ।केन्द्रीय मंत्री के बेटे को आरोपी बनाया गया । विपक्ष को बड़ा मुद्दा मिल गया ।विधानसभा में कार्रवाई पर जोरदार बहस छिड़ी।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुप्पी तोड़ी और शालिन भाव में कहां और आग्रह किया ,इसे हवा मत दीजिए ।कानून अपना काम कर रही हैं । लेकिन सत्ता में शामिल भाजपा पार्टी ,इसे कैसे कबूल कर लेती । केन्द्रीय मंत्री के आरोपी बेटे अर्जित शाश्वत को भाजपा ने स्टार प्रचारक के रूप में खड़ा कर दिया ,खूब समर्थन मिला और हजारों शामिल में हो गये । आरोपी अर्जित शाश्वत के बड़ बोलेपन को समझने की जरूरत हैं ,कहां की एफआईआर की कौपी को कुड़ेदान में फेंकते हैं । अब गौर कीजिए ,जिस आरोपी अर्जित शाश्वत को आप दबंग समझते हैं वहीं कानून के समक्ष ,अग्रिम जमानत के लिए याचिका दाखिल किया हैं ।वकालतनामा पर भी उसके दस्तखत हैं । एक एफआईआर ने आरोपी का हवा निकाल दिया । नौजवान एवं युवा वर्ग इसे मान लीजिए ,कानून में उग्र भाषण और अपराधी का कोई जगह नहीं हैं ,चाहें वह कोई भी हो, अंजाम बुरा होता हैं । यह राजनेता ,इतने कमजोर हैं की अपने स्वार्थ के लिए समाज को दंगे की आग में ढकेल रहे हैं । इनके भड़काऊ भाषण पर गौर नहीं करें ,इसे आदर्श समझने की जरूरत नहीं हैं बल्कि तिस्कार करें ।नहीं तो अभी औरंगाबाद, सीतामढ़ी, नवादा जला हैं ।इनकी साजिश तो पुरे बिहार और देश जलाने की हैं ।
जरा सोचें ,भागलपुर दंगा के आरोपी ,केन्द्रीय मंत्री का बेटा अर्जित शाश्वत का अग्रिम जमानत पर कोर्ट में बहस होने वाली हैं । इनके परिवार पूजा अर्चना करने में जुटे हैं की भगवान मेरे बेटे को अग्रिम जमानत मिल जाएं नहीं तो कम से कम गिरफ्तारी पर रोक लग जाएं , रक्षा करना प्रभु । अब आप ही बताएं जो खुद लाचार हैं वह आपका रक्षा कैसे करेगा ,यह तो सिर्फ दंगा की आग ही लगाएंगे। ऐसे नेताओं से अपने को बचाए और अलग रखें ,आपका बिहार ,हमारा बिहार ,सबका बिहार सुरक्षित रहेगा ।
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