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Wednesday, 28 March 2018

ब्राह्मण समाज के पुरोधा पंडित कौशल किशोर त्रिपाठी का आकस्मिक निधन जनपद में शोक की लहर

हरदोई। 28 मार्च जनपद हरदोई में ब्राह्मण समाज के अगुआ के रूप में अपनी पहचान रखने वाले ब्राह्मणों के हर सुख दुख में साथ खड़े रहने वाले तहसील शाहाबाद के छोटे से गांव कोठिला में जन्मे पंडित कौशल किशोर त्रिपाठी ने राजनीति में भी अपने कौशल का परिचय दिया है। आपको बताते चलें 60 के दशक से नई सदी तक पण्डित जी बने रहे राजनीति पर असर डालने वाली शख़्सियत पण्डित कौशल किशोर (कोठिला) का जन्म भले ही मौनी अमावस्या को हुआ था, लेकिन सिनेमा रोड स्थित आवास पर गन हाउस में शाम को उनके चाहने वालों के जुटने पर वह ख़ूब बोलते बतियाते थे। 50 बरस का राजनीतिक अनुभव समेटे पण्डित जी उम्र चढ़ने के बावजूद क्षेत्र के लोगों का प्रशासनिक, न्यायिक और पुलिस से जुड़े काम में मदद करने के लिए कचहरी से एसपी दफ़्तर तक प्रायः दिख जाते थे। उनका जाना टोडरपुर क्षेत्र के लोगों के लिए सदमे से कम नहीं है।टोडरपुर क्षेत्र पंचायत की राजनीति पर 50 के दशक से ही उनके परिवार का दबदबा रहा। साल 1955 में पण्डित जी ब्लॉक प्रमुख बने। हालांकि, उम्र 25 वर्ष से कम होने के चलते डिबार हो गए। बाद में पण्डित जी की मां सदापियारी प्रमुख बनीं। साल 1962 से 1995 तक पण्डित जी टोडरपुर ब्लॉक प्रमुख रहे। साल 1995 से 2005 तक पण्डित जी की पुत्रवधु सरोज तिवारी ब्लॉक प्रमुख और 2000 से 2005 तक पुत्र संजय तिवारी ज्येष्ठ प्रमुख रहे। 2005 से 2010 तक अनुचर धरमू ब्लॉक प्रमुख रहा। पण्डित जी लगभग 04 दशक तक केन ग्रोवर्स सोसायटी के चेयरमैन रहे। उन्होंने 70 के दशक में पिहानी विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव भी लड़ा था और सैकेण्ड रनर रहे थे। पुत्र संजय दशक भर से केन ग्रोवर्स सोसायटी के चेयरमैन हैं। साथ ही, एएसबीवी इण्टर कॉलेज के प्रबन्धक भी हैं।
2010 के ब्लॉक प्रमुख चुनाव में सत्ता के दबाव में टोडरपुर की सियासत के समीकरण पण्डित जी के विपरीत हो गए। शाहाबाद के तत्कालीन बसपा विधायक आसिफ़ खां ‘बब्बू’ के दख़ल ने पण्डित जी को ब्लॉक पर दबदबे से बेदखल कर दिया था। लेकिन, 2012 के विधानसभा चुनाव में बब्बू को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। सपा प्रत्याशी बाबू खां के चुनाव को पण्डित जी ने अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया और बब्बू चुनाव हार गए। चुनाव के नतीजे आने के बाद बाबू से ज़्यादा फूल-मालाएं पण्डित जी को पहनाई गईं और जीत का श्रेय दिया गया। बाद के दिनों में पण्डित जी अस्वस्थ रहने लगे। हालांकि, गन हाउस पर शाम को वह बोलते-बतियाते फिर भी दिख जाते थे। इधर, काफी वक़्त से वह नज़र नहीं आते थे। पण्डित जी ने अपने पिता रामभरोसे त्रिपाठी की स्मृति में एक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की स्थापना की थी।आज दोपहर लखनऊ में पण्डित जी के देहावसान का समाचार आया। समाचार आम होने के बाद राजनीतिक गलियारों और टोडरपुर में शोक की लहर दौड़ गई। कोठिला परिवार के क़रीबी अनुपम पाण्डेय की प्रतिक्रिया थी- ‘बाबू पिछली मौनी अमावस्या को 81 वर्ष के हुए थे। उनका जाना राजनीति के एक युग का अवसान है।’ आज शाम पण्डित जी की पार्थिव देह यहां उनके आवास पर पहुंचने की सूचना है। पण्डित जी के 03 पुत्र सुभाष, सतीश, संजय, पुत्री बबिता बाजपेई, 02 पौत्र और 04 पौत्रियां हैं।

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