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Friday, 30 March 2018

बिलग्राम-प्रदेश से लेकर केंद्र तक भाजपा सरकार।फिर भी नहीं हो पा रहा रेल का सपना साकार

रेलवे लाइन की आस संजोए बिलग्राम व सांडी वासी क्षेत्रीय माननीय नहीं उठाते आवाज
अंग्रेज जमाने में सांडी पक्षी विहार तक थी रेलवे लाइन
बिलग्राम।हरदोई30मार्च कभी अंग्रेजी हुकूमत में बिलग्राम व सांडी के पक्षी विहार तक रेलवे की सुविधा उपलब्ध थी।इसके बहुतायत प्रमाण उपलब्ध हैं।पर देश को आज़ादी प्राप्त होने के साथ ही वर्तमान में दो विधानसभा क्षेत्रों के विकास में अहम भूमिका निभाने वाली भारत सरकार की महत्वपूर्ण रेलवे परिवहन की सुविधाएं बिलग्राम व सांडी को किस वजह से आज तक नहीं प्राप्त हो सकी।यह अपने आप में उन माननीयों पर प्रश्न खड़ा हुआ है। जिन्होंने आज तक राज्यसभा व लोकसभा में इन्हीं क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने का गौरवशाली सौभाग्य प्राप्त किया है।लेकिन क्षेत्रीय जनता भाग्य का उदय आज तक नहीं कर सके ।ऐसा प्रश्न खड़ा करता है जिसके लिए वह जवाब देने के लिए उत्तरदायी हैं।कई बार बिलग्राम को रेलवे स्टेशन की सौगात मिलने की न केवल बात भी कही गई बल्कि बकायदा विभागीय सर्वे भी किये जाने की सूचना लोगों द्वारा चर्चा का विशेष विषय बनी।लेकिन फिर वही पुरानी कहावत ढाक के तीन पात चरित्रार्थ साबित हुई।न जाने कितने रेलवे के सफर की आस में दम तोड़ गये औऱ न जाने कितने लोगों के अरमानों पर पानी विभाग ने फेर दिया।लेकिन रेलवे स्टेशन तो दूर की बात रेल लाइन भी नगर को कब नसीब हो पायेगी।यह महज लोगों के लिए छलावा से कम नहीं लगता।शायद यही सोचकर भूमाफियाओं लोगों ने केंद्र सरकार द्वारा घोषित रेलवे लाइन की भूमि पर अवैध रूप से कब्जा किया है।मामला यहीं खत्म नहीं होता देश में प्रचंड बहुमत से केंद्र सरकार बनाने वाली भाजपा की सरकार ने कन्नौज से हरदोई रेल का 45 किमी का बाकायदा रुट तय करने के साथ ही नगर को रेलवे की सौगात दी थी।लेकिन विभाग ने 45 किमी दूरी की अपेक्षा आज तक पैंतालीस सेंटीमीटर तक लाइन नहीं बिछा पाया।जिस पर ऊपर से स्थानीय लोगों को आज तक विभागीय प्रगति की जांच या जानकारी भी नहीं मिल सकी।कुछ यही हाल सांडी माधौगंज रेलवे संघर्ष समिति के अध्यक्ष समाजसेवी डॉ पंकज त्रिवेदी के जनांदोलन में वह पीड़ा दिखाई देती है।जिसमें किसी भी जनप्रतिनिधियों के सहयोग की भूमिका भी संदिग्ध प्रतीत होती है।लगातार कई वर्षों से रेलवे की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन करने के बाद भी सरकार ने इन दो विधानसभा क्षेत्र में रेल लाइन न चलाने की कसम खायी है।ऐसा लोगों का आरोप है।रेलवे संघर्ष समिति के अध्यक्ष श्री त्रिवेदी ने यूपी के मुख्यमंत्री को माधौगंज से सांडी तक रेलगाड़ी के लिए मांग के साथ ही रेलवे लाइन पर अवैध रूप से अतिक्रमण हटाने की भी मांग की है।जिसमें बाकायदा श्री त्रिवेदी ने शिकायती पत्र में दर्शाया है कि आजादी के पूर्व सांडी स्थित औहदपुर नाम का स्टेशन था।जहाँ से माधौगंज से होते हुए कानपुर नगर तक रेल चलती थी।पर सन 1942 में इसी रेलमार्ग के उखड़ने के बाद रेलवे की भूमि पर लोगों ने खेती करने के साथ कब्जा करते हुए मकान तक बना लिये।अपने जनांदोलन को सफल बनाने व आम जनता को रेलवे की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए श्री त्रिवेदी ने सभी पार्टियों के जनप्रतिनिधियों से सहयोग की आशा व्यक्त की है।इस महत्वपूर्ण जनहित के मुद्दे की मांग पर श्री त्रिवेदी ने बातचीत में बताया कि रेलवे की उपलब्धता होने से हर स्तर पर क्षेत्र का विकास तो होगा ही साथ ही साथ ऐतिहासिक धरोहरों व पर्यटकों के आगमन से रोजगार भी बढ़ेगा।साथ ही दो टूक शब्दों में कहा कि जब तक रेलगाड़ी नहीं चलेगी हर स्तर पर सरकार की किरकिरी इसी प्रकार होती रहेगी।

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