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Thursday, 29 March 2018

नीरव-विजय के बाद एक और मामला- आईसीआईसीआई बैंक ने अकेले वीडियोकॉन को लोन नहीं दिया, जानें पूरा मामला…

नई दिल्ली। वीडियोकॉन ग्रुप को आईसीआईसीआई बैंक ने 3250 करोड़ रुपए का लोन दिया था। यह लोन पूरा नहीं चुकाया गया।नीरव मोदी-विजय माल्या के बाद बैंकों से कर्ज लेने से जुड़ा एक और मामला सामने आया है। बाद में वीडियोकॉन की मदद से बनी एक कंपनी आईसीआईसीआई बैंक की एमडी और सीईओ चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की अगुअाई वाले ट्रस्ट के नाम कर दी गई।

वीडियोकॉन ग्रुप ने 86% लोन नहीं चुकाया
अप्रैल 2012: इंडियन एक्सप्रेस की खबर में दावा किया गया है वीडियोकॉन ग्रुप की पांच कंपनियों को अप्रैल 2012 ने 3250 करोड़ रुपए का लोन दिया गया था। ग्रुप ने इस लोन में से 86% यानी 2810 करोड़ रुपए नहीं चुकाए। इसके बाद लोन को 2017 में एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग असेट्स) घोषित कर दिया गया।

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दिसंबर 2008:वीडियोकॉन ग्रुप के मालिक वेणुगोपाल धूत ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर के साथ मिलकर एक कंपनी न्यूपावर रिन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड बनाई। इसमें कोचर के परिवार और धूत की हिस्सेदारी पचास-पचास फीसदी की थी। दीपक कोचर को इस कंपनी का मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया।

जनवरी 2009:धूत ने इस कंपनी में डायरेक्टर का पद छोड़ दिया। उन्होंने ढाई लाख रुपए में अपने 24,999 शेयर्स भी न्यूपावर में ट्रांसफर कर दिए।

धूत की कंपनी ने कोचर की कंपनी को लोन दिया था
मार्च 2010:आरोप है कि धूत ने न्यूपावर कंपनी को अपने ग्रुप की कंपनी सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के जरिए 64 करोड़ रुपए का लोन दिया।

नवंबर 2010: दावा है कि इसके बाद धूत ने कोचर की न्यूपावर कंपनी को लोन देने वाली सुप्रीम एनर्जी में अपनी हिस्सेदारी महेशचंद्र पुंगलिया को दे दी।

सितंबर 2012: पुंगलिया ने धूत से मिली सुप्रीम एनर्जी कंपनी की हिस्सेदारी दीपक कोचर की अगुआई वाले पिनैकल एनर्जी ट्रस्ट के नाम कर दी। 94.99 फीसदी होल्डिंग वाले ये शेयर्स महज 9 लाख रुपए में ट्रांसफर कर दिए गए। इस तरह सुप्रीम एनर्जी से मिले 64 कराेड़ रुपए के लोन के मायने नहीं रह गए।

आईसीआईसीआई बैंक के बोर्ड ने चंदा कोचर को दी क्लीन चिट
आईसीआईसीआई बैंक के बोर्ड ने एक बयान जारी कर कहा कि उसे बैंक की एमडी चंदा कोचर पर पूरा भरोसा है। मीडिया में आई खबरें महज अफवाह हैं। बोर्ड ने कहा कि हमने कर्ज मंजूर करने की बैंक की आंतरिक प्रक्रिया पर दोबारा गौर किया है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से मजबूत है। चंदा कोचर के मामलों में हितों का कोई टकराव नहीं हुआ।

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बैंक के बोर्ड ने कहा कि अप्रैल 2012 में बैंकों के एक कंजोर्शियम ने वीडियोकॉन ग्रुप को लोन दिया था। इस कंजोर्शियम की अगुआई आईसीआईसीआई ने नहीं की थी। बैंक का 3250 करोड़ रुपए का लोन कुल कंजोर्शियम के लोन का महज 10 फीसदी था।

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