लखनऊ। एससी-एसटी एक्ट के तहत तत्काल गिरफ्तारी पर रोक के विरोध में दलित संगठनों द्वारा कल किए भारत बंद के दौरान व्यापक हिंसा के बाद मंगलवार को उत्तर प्रदेश में माहौल शांतिपूर्ण रहा। वहीं सोमवार को हुए बवाल-आगजनी और हिंसक घटनाआें को लेकर पुलिस ने 125 से अधिक मुकदमें दर्ज कर अब तक 650 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस अब वीडियो, सीसीटीवी और फोटो के जरिए उपद्रवियों को तलाश कर रही है। हिंसक वारदातों में हुई नुकसान हुई संपत्तियों की भरपाई उपद्रवियों से ही कराई जाएगी।
पुलिस उप महानिरीक्षक (कानून व्यवस्था) प्रवीन कुमार ने बताया कि राज्य में कल हुई हिंसा के सिलसिले में 650 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 125 मामले दर्ज किये गये हैं। उन्होंने कहा कि आज कहीं से किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं है। पुलिस हिंसा और आगजनी की फुटेज देख रही है। कल की घटनाओं के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। डीआईजी ने बताया कि बलवा कराने वाले साजिशकर्ताओं की तलाश तेज कर दी गई है। इनमें से अधिकांश चिन्हित कर लिए गए हैं। आगे ऐसी कोई स्थिति न बने इसलिए सभी जिलों को सतर्क कर दिया गया है। डीजी मुख्यालय स्तर से ही इसकी मॉनिटरिंग की जा रही है।डीजीपी खुद पूरे प्रदेश पर नजर रखे हुए हैं।
डीआईजी ने कहा कि पब्लिक प्रापर्टी डैमेज एक्ट के तहत भी मुकदमें दर्ज किए गए हैं। बवाल करने वालों से ही इनकी वसूली की जाएगी।
डीआईजी ने बताया कि सोमवार को हुए प्रदर्शनों में मेरठ, हापुड़, मुजफ्फरनगर सहित पश्चिम के जिलों में अधिक प्रभाव रहा। इन जिलों में विशेष सतर्कता बरती जा रही है। पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि जिलों को स्थानीय इंटेलिजेंस, पीआरवी को अधिक सक्रिय रखने के निर्देश दिए गए हैं। सीओ और इंस्पेक्टर अपने क्षेत्रों में लगातार भ्रमण करते रहें। जनपद में सिविल डिफेन्स (नागरिक सुरक्षा संगठन) के पदाधिकारियों से व्यक्तिगत सम्पर्क कर उनके वार्डन एवं कार्यकर्ताओं का सहयोग लिया जाये। बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों, सिनेमाहाल, शापिंग मॉल, सरकारी कार्यालय/भवनों एवं न्यायालय, प्रमुख स्थलों व सामूहिक स्थलों आदि पर पर्याप्त पुलिस प्रबन्ध किये जाये। सोशल मीडिया पर भी नजर रखी जाए।
स्कूलों, विद्यालयों, ट्रेनों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाये। अगर कहीं कुछ आपत्तिजनक और भड़काऊ मिले तो तत्काल संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
मिश्रित आबादी वाले क्षेत्रों में पिकेट की व्यवस्था करें और पीस कमेटियों के जरिए लोगों को समझाया जाए। डा. आम्बेडकर की प्रतिमाओं की विशेष तौर पर निगरानी करते हुए समुचित सुरक्षा व्यवस्था की जाये।
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