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Tuesday 3 April 2018

पति को है पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने का अधिकार: गुजरात उच्च न्यायालय


नई दिल्ली। असहमति के बावजूद शारीरिक संबंध बनाने के मामले को लेकर गुजरात उच्च न्यायालय की ओर से सोमवार को कहा गया कि पति द्वारा पत्नी की असहमति के बावजूद शारीरिक संबंध बनाने को दुष्कर्म नहीं कहा जा सकता है। वहीं, इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि अप्राकृतिक संबंध बनाने के कदम को दयाहीनता की श्रेणी में रखा जाएगा।

पेशे से एक डॉक्टर है महिला का पति
दरअसल एक महिला डॉक्टर ने अपने पति के खिलाफ दुष्कर्म और शारीरिक शोषण करने के खिलाफ केस दर्ज कराया था। महिला का पति भी खुद पेशे से एक डॉक्टर है। इसी मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इस तरह का फैसला सुनाया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने वैवाहिक दुष्कर्म को रोकने के लिए कानून बनाने की जरुरत पर भी ध्यान देने की बात की कही है।इस पूरे मामले को लेकर न्यायमूर्ति जेबी पारडीवाला का कहना है कि पत्नी से उसकी इच्छा के विरुद्ध शारीरिक संबंध बनाना दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता।

पति के कहने पर उसके पति पर दुष्कर्म के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के अंदर मामला दर्ज नहीं किया जा सकता है। वैवाहिक दुष्कर्म धारा 375 के अंदर नहीं आता जो आदमी को उसकी पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने की इजाजत देता है। परंतु इसके बावजूद हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि कोई महिला अपने पति के खिलाफ अप्राकृतिक संबंध बनाने मामले में धारा 377 के अंतर्गत मामला दर्ज करा सकती है। न्यायालय ने कहा कि एक पति को अपनी पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने का अधिकार है। लेकिन, वह उनकी किसी तरह की संपत्ति नहीं है और यह उसकी इच्छा के बिना नहीं होना चाहिए।

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