नयी दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा कि अयोध्या में भगवान श्री राम की जन्मभूमि पर भव्य राममंदिर जल्द से जल्द बनना चाहिए। ऐसा होने से हिन्दू और मुसलमानों के बीच झगड़े के कारण समाप्त हो जाएगा और सांप्रदायिक एकता मजबूत होगी।
सरसंघचालक मोहन भागवत ने विज्ञान भवन में भविष्य का भारत: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण विषय पर अपनी व्याख्यानमाला के तीसरे एवं अंतिम दिन प्रश्नों के उत्तर देते हुए कहा कि अयोध्या के मामले में अध्यादेश लाना चाहिये या संवाद करना चाहिए, ये सोचना सरकार का काम है। संघ के नाते से वह कहेंगे कि राम जन्म भूमि पर भव्य राममंदिर जल्द से जल्द बनना चाहिए।
श्री भागवत ने कहा कि बहुसंख्यक हिन्दू राम को भगवान मानते हैं और बहुत से लोग उन्हें आचरण में उच्च कोटि की मानवीय मर्यादा को उतारने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में देखते हैं और कई इमामे हिन्द मानते हैं। उन्होंने कहा कि वहां लेज़र सर्वेक्षण से पता चल चुका है कि विवादित स्थान पर मंदिर था। अगर वहां राममंदिर बन जाये तो हिन्दू और मुुसलमानों के बीच झगड़े के अधिकतर कारण समाप्त हो जाएंगे। इस काम को इतना लटकाने की जरूरत नहीं है। इसे शीघ्र से शीघ्र करना चाहिए।
उन्होंने कहा, जहां राम की जन्मभूमि थी, जहां उनका जन्म हुआ वहां उनका मंदिर होना चाहिये, यदि यह हो गया तो हिंदू और मुस्लिम के बीच झगड़े का एक बड़ा कारण समाप्त हो जायेगा, और यह सद्भावना से हो गया तो मुस्लिमों की ओर उठने वाली उंगलियों में बहुत कमी आ जायेगी।
सरसंघचालक ने समान नागरिक संहिता लाने और जम्मू कश्मीर से धारा 370 और अनुच्छेद 35 ए को हटाने की भी वकालत की। जम्मू कश्मीर के बारे में उन्होंने कहा कि हम नहीं मानते कि धारा 370 अौर अनुच्छेद 35 ए रहने चाहिए। जहां तक राज्य के तीन भाग करने का सवाल है तो उसे देश की अखंडता एवं एकात्मता तथा सुरक्षा और प्रशासकीय सुविधा की दृष्टि से तय किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि संघ ने जम्मू कश्मीर के युवाओं को देश से जोड़ने के लिए काम शुरू कर दिया है। इसके परिणाम दिखने में कुछ समय लगेगा। आंतरिक सुरक्षा के सवाल पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि संविधान एवं कानून के विरोध में चलने वाले खेल का कड़ाई से प्रबंध किया जाना चाहिए। देश की गोली उस दिशा में चले जहां से भारत की अखंडता सुरक्षा सुनिश्चित हो। समान नागरिक संहिता के बारे में उन्होंने कहा कि यह संविधान में भी कहा गया है।
चुनाव में मतदान की प्रक्रिया में नोटा (इनमें से कोई नहीं) के विकल्प पर राय पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि प्रजातांत्रिक व्यवस्था में उपलब्ध में से श्रेष्ठतम चुनने की पंरपरा है। कोई शत प्रतिशत श्रेष्ठ नहीं मिलता है। नोटा के जरिये उपलब्ध में से श्रेष्ठतम चुनने का विकल्प छूट जाता है जिसका लाभ उपलब्ध में से निकृष्टतम को मिल जाता है। इसलिए नोटा का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
भाजपा पर संगठन मंत्री के माध्यम से नियंत्रण रखने और राजनीति में भागीदारी के सवाल पर श्री भागवत ने कहा कि संघ भाजपा को उसके मांगने पर संगठन महामंत्री देता है। अगर कोई अन्य दल मांगेगा तो उसे भी देंगे। संघ किसी दल का समर्थन नहीं करता है। केवल नीति का समर्थन करता है। उस नीति के आधार पर किसी दल को समर्थन हासिल हो जाये तो उस दल का सौभाग्य है। मोदी सरकार के कामकाज के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि 2014 के बाद संघ के आदर्श को जमीन पर उतारने की पहल हुई है। उस दिशा में काम शुरू हुआ है और हवा बदली है।
No comments:
Post a Comment