लखनऊ। नगर निगम और सफाई करने वाली एजेंसी के बीच चल रही खींचातानी को लेकर राजधानी की सफाई व्यवस्था ताख पर पहुंच गयी है। शहर के हालात यह है कि आये दिन बढ़ रहे गंदगी से लोग त्रस्त हैं। मजे की बात यह है कि एजेंसी और नगर निगम के बीच चल रहे तनातनी का नतीजा जो भी हो लेकिन नगर निगम की कार्यशैली शहरवासियों के काफी मुश्किले पैदा कर रही है।
बताते चले कि प्रदेश की राजधानी में बढ़ते गंदगी से लोगों में त्राहि-त्राहि मची है। वहीं नगर निगम भी शहर में गंदगी को लेकर बीते कई माह से चुप्पी साधे हुए था, वहीं सफाई न होने से लोगों में नगर निगम के प्रति काफी गुस्सा भी देखने को मिला, लेकिन नगर आयुक्त द्वारा शहर में सफाई के लिये कार्य कर रही कम्पनी को बदलने और शासन को लिखे पत्र के बाद, मामला खुल कर सामने आ गया। एक ओर नगर निगम कम्पनी पर आरोप लगा रही है कि वह सफाई व्यवस्था का कार्य नियमों के तहत नहीं कर रही है तो दूसरी ओर कम्पनी नगर निगम पर ही कई माहीनों से बकाये का भुगतान न करने की बात कह रही है।
कम्पनी का यह भी कहना है कि नगर निगम से भुगतान न मिलने की वजह से सफाई कर्मचारियों का कई माह से वेतन भी नहीं दिया गया है, और नगर निगम है कि भुगतान नहीं कर रहा है। फिलहाल इन दोनों की खींचतान में राजधानी लखनऊ की तस्वीर नरक में बदल रही है। बताते चलें कि हजरतगंज जैसे पाश इलाके में भी लोग गंदगी से परेशान है। कई महीनों से कूड़ा न उठने से लोग बदबूदार वातावरण में रहने को विवश है। शहर के जानकीपुरम, चिनहट, इन्दिरा नगर के तमाम स्थानों पर कूड़ों को ढ़ेर लगा है जिनकी सफाई नहीं हो पा रही है, लेकिन नगर निगम है कि सबकुछ ठीक होने का दावा करने से बाज नहीं आ रहा है।
बताते चले कि शहर की सफाई व्यवस्था का जिम्मा ईको ग्रीन कम्पनी के पास है। महापौर संयुक्ता भाटिया ने भी कम्पनी को सफाई व्यवस्था को लेकर चेतावनी दी है लेकिन यह चेतावनी कितनी कारगर साबित होगी। इसका जवाब तक समय ही देगा लेकिन इन दोनों के आरोप-प्रत्यारोप से शहर की हालत बदत्तर होती जा रही है।
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