यूपी एटीएस और एनआईए की संयुक्त टीम को मिली सफलता, कानपुर से गिरफ्तार किया गया कथित आतंकी: डीजीपी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (यूपी एटीएस) और नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) ने संयुक्त रूप से कार्रवाई करते हुए कानपुर जिला से हिज्ब-उल-मुजाहिद्दीन के कथित आतंकी को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है। डीजीपी ओपी सिंह ने पुलिस मुख्यालय (डीजीपी कार्यालय) पर इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि पकड़ा गया आतंकी गणेश चतुर्थी पर किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में था। लेकिन खुपिया इनपुट मिलने के बाद काफी समय से सक्रिय एटीएस ने एनआईए के साथ मिलकर आतंकी को गिरफ्तार कर उसके सारे मंसूबो पर पानी फेर दिया। डीजीपी ने दोनों की आतंकविरोधी टीमों की प्रशंसा की है। डीजीपी ने बताया कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आतंकी धमकी मिली थी। इधर उत्तर प्रदेश पुलिस को आज एक बड़ी सफलता मिली है। फिलहाल आतंकी से पूछताछ की जा रही है।
यूपी पुलिस को मिली बड़ी सफलता: डीजीपी
डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि आज बहुत ही बड़ी सफलता मिली है। उन्होंने बताया कि एटीएस ने कानपुर में सुबह 5 बजे चकेरी थाना क्षेत्र से कानपुर टीम के सहयोग से हिजबुल मुजाहिद्दीन का आतंकी पकड़ा है। डीजीपी ने बताया कि एटीएस पिछले 10 दिन से इस पर काम कर रही थी। जिस समय आतंकी की गिरफ्तार किया गया उस समय NIA भी स्पॉट में मौजूद थी। डीजीपी ने बताया कि आतंकी ने पिछले दिनों सोशल मीडिया पर अपनी फोटो AK47 लेकर डाली थी। सोशल मीडिया पर फोटो काफी वायरल हुई थी। उसके बाद से इसकी तलाश की जा रही थी। इसका मोबाइल बरामद हुआ है, काल डिटेल की छानबीन की जा रही है।
बेहद खतरनाक है पकड़ा गया आतंकी
उत्तर प्रदेश एटीएस के महानिरीक्षक असीम अरुण ने बताया कि हिज्ब-उल-मुजाहिदीन से जुड़ा आतंकी बेहद खतरनाक है। यूपी एटीएस की टीम ने कानपुर के चकेरी से जिस आतंकी को पकड़ा है उसने पूछताछ में अपना नाम कमरुज्जमा उर्फ डॉ. हुरैरा है बताया है। पकड़े गए आतंकी की उम्र 47 साल है। पकड़ा गया कमरूज़ज़्मा यहीं चकेरी इलाके में रहता था। जिसे एटीएस ने कानपुर की चकेरी थाना पुलिस टीम के सहयोग से गिरफ्तार किया है। प्रेसवार्ता के दौरान डीजपी के साथ एडीजी लॉ एंड आर्डर आनंद कुमार तथा आईजी एटीएस असीम अरुण भी थे।
गणेश चतुर्थी पर मंदिर में धमाका करने की थी योजना
डीजीपी ने बताया कि आतंकी हिंदू के पर्व गणेश चतुर्थी पर कानपुर में एक बड़ी वारदात करने की फिराक में था। इस आतंकी ने कानपुर स्थित एक मंदिर की रेकी की थी। आतंकी के पास से रेकी वीडियो भी पुलिस ने बरामद किया है।
बीए फेल आतंकी ने ली थी कश्मीर में ट्रेनिंग
पकड़ा गया आतंकी 2017 में कश्मीर में ओसामा नाम के व्यक्ति के संपर्क में आया। उसके माध्यम से हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़ा। इसने किश्तवाड़ से ऊपर पहाड़ के जंगलो में ट्रेनिंग की। पकड़ा गया आतंकी मूलरूप से आसाम का रहने वाला है। पकड़ा गया आतंकी मुजाहिद्दीन का सक्रिय सदस्य है। आतंकी ने बीए थर्ड ईयर की पढ़ाई की लेकिन फेल हो गया था। आतंकी कम्प्यूटर कोर्स और टाइपिंग का डिप्लोमा लिए हुए है। इससे लगातार पूछताछ जारी है और इससे कई अहम जानकारियां हासिल हो सकती है। पकड़े गए आतंकी का नाम कमर-उज-जमा उर्फ डॉ हुरैरा उर्फ कमरुद्दीन है। कश्मीर से आकर यहां कब से छिपा था। कौन-कौन इसके साथी हैं। इसके पास धन कहाँ से आया और कितना आया है। इसके टारगेट क्या-क्या थे। इसकी जानकारी हेतु पूछताछ की जा रही है।
आतंक का दूसरा नाम है हिजबुल मुजाहिद्दीन
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में आतंक का दूसरा नाम हिजबुल मुजाहिद्दीन को हिज्ब-उल-मुजाहिद्दीन या एचएम के नाम से भी जाना जाता है, जिसका गठन 1990 के आसपास हुआ था। इसका गठन मास्टर एहसान डार ने किया था। हिजबुल मुजाहिद्दीन जम्मू-कश्मीर के सबसे बड़े और पुराने आतंकी संगठनों में से एक है। इसका मुखिया सैयद सलाहुद्दीन के नाम से जाना जाता है। इस आतंकी संगठन का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में भय का वातावरण बनाकर कश्मीर को भारत से अलग करके पाकिस्तान में उसका विलय करना है। इस संगठन की स्थापना के लिए डार को मोहम्मद अब्दुल्ला नामक आतंकवादी का विशेष सहयोग मिला और डार हिजबुल मुजाहिद्दीन का प्रमुख तथा अब्दुल्ला सैनिक सलाहकार बना।
भारत से अलग कराने के लिए घाटी में फैला रहे आतंक
कश्मीर में आतंकियों और अलगाववादियों को हुई विदेशी फंडिंग की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने हिजबुल मुजाहिद्दीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन के दूसरे बेटे सैयद शकील अहमद को श्रीनगर के रामबाग इलाके में उसके घर से गिरफ्तार किया। शकील अहमद सलाहुद्दीन का दूसरा बेटा है, जिसे इस मामले में गिरफ्तार किया गया है। हिजबुल मुजाहिद्दीन 1990 में अस्तित्व में आया, जो पाकिस्तान की मदद से बना था। इसके गठन के लिए एहसान डार 1988 में सीमा पार करके पाकिस्तान गया था। वर्ष बाद वहां से खूनी इरादे लिए पाकिस्तान के निर्देश पर उसने कश्मीर में प्रवेश किया। यहां उसकी योजना एक ऐसा आतंकवादी संगठन तैयार करने की थी, जिसके सदस्य कश्मीर को भारत से अलग कराने के लिए घाटी में आतंक फैलाएं।
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