Biography in Hindi (Our Gather Mahatma Gandhi )
महात्मा गांधी का जीवन परिचय
महात्मा गांधी संक्षिप्त जीवन परिचय | |
Mahatma Gandhi Brief Biography in Hindi, About Mahatma Gandhi | |
नाम | मोहन दास करम चन्द्र गांधी |
जन्म व स्थान | 2 अक्टूबर 1869 ,गुजरात के पोरबंदर गांव में |
मृत्यु | ३० जनवरी 1948 |
पिता | करम चंद्र जी |
माता | पुतली बाई |
पत्नी | कस्तूरबा गांधी |
संतान | हरिलाल, मणिलाल ,रामदास ,देवदास |
शिक्षा | बैरिस्टर |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
उपलब्धियां | भारत के राष्ट्रपिता, भारत को आजाद दिलवाने में अहम योगदान, सत्य और अहिंसा के प्रेरणा स्त्रोत, भारत के स्वतंत्रा संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान भारत छोड़ो आंदोलन, स्वदेशी आंदोलन, असहयोग आंदोलन स्वदेशी आंदोलन आदि। |
महत्वपूर्ण कार्य | सत्या और अहिंसा का महत्व बताकर इसको लोगों तक पहुंचाया, छुआ-छूत जैसी बुराइयों को दूर किया |
महात्मा गांधी का प्रारंभिक जीवन (Early life of Mahatma Gandhi)
महात्मा गाँधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर गांव में हुआ था | इनके पिता जी श्री करम चंद्र गाँधी जी पोरबंदर के दीवान थे और माता जी (पुतली बाई) जो एक धार्मिक महिला थी| महात्मा गाँधी को ज्यादातर लोग बापू कह कर पुकारते थे| गांधी जी का विवाह 13 वर्ष की उम्र में कस्तूरबा बाई (14 वर्ष ) के साथ हुआ |
गाँधी जी ने नवंबर सन 1887 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी और सन 1888 में भावनगर के समलदास कॉलेज में दाखिल हुए थे और वहाँ से उन्हें डिग्री प्राप्त हुई थी | इसके बाद वे लंदन गए और वह से बैरिस्टर बन कर लौटे | गाँधी जी द्वारा नमक सत्याग्रह की सुरुवात 12 अप्रैल सन 1930 को गुजरात के अहमदाबाद शहर के पास स्थित साबरमती आश्रम से की गई थी | गाँधी जी अपने परिवार में सबसे ज्यादा पढ़े लिखे थे |
सत्य और अहिंसा के पुजारी (Priest of Truth and Nonviolence)
अहिंसा और सत्याग्रह के संघर्ष से उन्होंने भारत को अंग्रेजो से स्वतंत्रता दिलाई उनका यही काम पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बन गया | बापू का कहना था की ” बुरा मत देखो ,बुरा मत सुनो ,बुरा मत कहो ,” और हमेशा सच्चाई की राह पर चलो क्योंकि सच्चाई की कभी भी हार नहीं होती |
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भारत के राष्ट्रपिता भारत को आजादी दिलाने में अहम् योगदान रहा है |गाँधी जी २४ साल की उम्र में दक्षिण अफ्रीका पहुंचे वह प्रिटोरिया स्थित कुछ भारतीय व्यापारियों के न्यायिक सलाहकार के तौर पर वह गए थे उन्होंने अपने जीवन के २१ साल दक्षिण अफ्रीका में बिताये जहां उनके राजनैतिक विचार और नेतृत्व कौशल का विकास हुआ |दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी ने भारतीयों को अपने राज नैतिक और सामाजिक अधिकारों के संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया |
महात्मा गाँधी समुच्च मानव जाति के लिए मिशाल थे उन्होंने हर परिस्थिति में अहिंसा और सत्य का पालन किया और लोगों को भी सत्य और अहिंसा का पालन करने को कहा उन्होंने अपना पूरा जीवन सदाचार में गुजारा। वह सदैव परम्परागत भारतीय पोशाक धोती व सूत से बनी शाल पहनते थे। बापू शाकाहारी भोजन खाते थे| इस महापुरुष ने आत्मशुद्धि के लिये कई बार लम्बे उपवास भी किये |
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का संघर्ष (1916- 1945) (Conflicts of Indian Independence Movement (1916-1945))
वर्ष 1914 में गांधी जी दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस लौट कर आये। इस समय तक गांधी जी एक राष्ट्रवादी नेता और संयोजक के रूप में सम्मानित हो चुके थे। वह उदारवादी कांग्रेस नेता गोपाल कृष्ण गोखले के कहने पर भारत आये थे और शुरू में गाँधी जी के विचार बहुत ज्यादा गोखले के विचारों से प्रभावित थे।
शुरुआत में गाँधी जी ने देश के अलग- अलग भागों का दौरा किया और राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक मुद्दों को समझने की कोशिश की। गाँधी जी भारतीय स्वतत्रता संग्राम के लिए अत्यधिक संघर्ष किया | गाँधी जी ‘वेजीटेरियन सोसाइटी’ की सदस्यता भी ग्रहण की थी इस सोसाइटी के कुछ सदस्य थियोसोफिकल सोसाइटी के सदस्य भी थे और उन्होंने गाँधी जी को गीता पढने का सुझाव दिया था |
द्वितीय विश्व युद्ध और भारत छोड़ो आंदोलन (World War II and Quit India Movement)
द्वितीय विश्व युद्ध के आरंभ में गांधी जी अंग्रेजों को ‘अहिंसात्मक नैतिक सहयोग’ देने के लिए उनके पक्ष में थे परन्तु कांग्रेस के कई नेता इस बात से खुश नहीं थे कि लोगो के प्रतिनिधियों के परामर्श को लिए बिना ही सरकार ने देश को युद्ध में झोंक दिया था।
गांधी जी ने घोषणा की कि एक तरफ भारत को आजादी दिलाने से इंकार किया जा रहा था और दूसरी तरफ लोकतांत्रिक शक्तियों को जीताने के लिए भारत को युद्ध में शामिल किया जा रहा था। जैसे-जैसे युद्ध बढता गया वैसे ही गांधी जी और कांग्रेस के लोगो ने मिलकर ‘भारत छोड़ो” आन्दोलन की मांग को तीव्र कर दिया।इस युद्ध में हजारों लोगो की संख्या में स्वतंत्रता सेनानी कुछ तो मारे गए और कुछ तो घायल हो गए और हजारों गिरफ्तार भी कर लिए गए।
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गांधी जी ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वह ब्रिटिश युद्ध प्रयासों को समर्थन तब तक नहीं देंगे जब तक भारत को तत्काल आजादी न दे दी जाए। उन्होंने यह भी कह दिया था कि व्यक्तिगत हिंसा के बावजूद यह आन्दोलन बन्द नहीं होगा।अंत समय में अंग्रेजो की शासन व्यवस्था डगमगाने लगी और फिर अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा। 15 अगस्त 1947 को हमारा भारत देश आजाद हुआ । परन्तु गांधीजी तथा देशवासियों के लिए खुशी के साथ दुख की बात यह भी थी कि भारत को दो टुकड़ों में विभाजित कर दिया गया। गांधी जी ने इस विभाजन को रोकने के लिए बहुत प्रयास किया और कठिनाइयों का सामना भी किया परन्तु वे सफल पाए लेकिन अपने भारत देश को आजाद करा दिया था |
गाँधी जी की मृत्यु (Death of Gandhi ji)
देश की सच्चे मन से सेवा करते- करते 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गाँधी जी पर तीन गोलियां दाग दी और हे राम कहते हुए गाँधी जी हमेशा के लिए सो गए। गांधी जी एक समाज सुधारक भी थे उन्होंने देश के लोगो को स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने के लिए प्रेरित किया और छुआछूत जैसे सामाजिक अपराध को समाप्त करने का आदेश भी दिया उनके आदर्शों को अपनाकर हमें उनके अधूरे कार्य पूर्ण करने चाहिए।
गांधी जी की राख को एक अस्थि-रख दिया गया और उनके द्वारा की गई देश की सेवाओं को याद दिलाने के लिए संपूर्ण भारत में ले जाया गया। इनमें से अधिकांश को इलाहाबाद के संगम पर १२ फरवरी १९४८ को जल में विसर्जित कर दिया गया किंतु कुछ को अलग पवित्र स्थानों में रख दिया गया। ३० जनवरी२००८ को दुबई में रहने वाले एक व्यापारी द्वारा गांधी जी की राख वाले एक अन्य अस्थि-कलश को मुंबई संग्रहालय में भेजने के उपरांत उन्हें गिरगाम चौपाटी नामक स्थान पर जल में विसर्जित कर दिया गया। यही हमारे राष्ट्रपिता के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।
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