2 Line Shayari #232, Chand bhi jhakta hai khidkiyo se | Alienture हिन्दी

Breaking

Post Top Ad

X

Post Top Ad

Recommended Post Slide Out For Blogger

Wednesday, 3 October 2018

2 Line Shayari #232, Chand bhi jhakta hai khidkiyo se

चाँद भी झाँकता है खिड़कियों से,
मेरी तन्हाईयों की चर्चा अब आसमानों में है। 😔

वहाँ मोहब्बत में पनाह मिले भी तो कैसे,
जहाँ मोहब्बत बे पनाह हो। 💖💘

किसी ने मुझसे पूछा ज़िन्दगी कैसे बर्बाद हुई,
मैंने ऊँगली उठायी और मोबाइल पर रख दी। 📱

अश्कों से भीगे पन्ने पर यूँ लफ्ज़ सिमटते गए,
दर्द से बेहाल कलम और ज़ज़्बात पिघलते गए। 😢

मै अपनी दोस्ती को शहर में रुसवा नहीं करता,
मोहब्बत मैं भी करता हु मगर चरचा नहीं करता। ☝💞

माली चाहे कितना भी चौकन्ना हो,
फूल और तितली में रिश्ता हो जाता है। 🌹🦋

यूँ ही गुजर जाती है शाम अंजुमन में,
कुछ तेरी आँखों के बहाने कुछ तेरी बातो के बहाने।

न मिल रहे हो.. न खो रहे हो तुम,
दिन-ब-दिन बेहद दिलचस्प हो रहे हो तुम। 💘

मोहब्बत मे कभी कोई जबरदस्ती नही होती,
जब तुम्हारा जी चाहे तुम बस मेरे हो जाना। 💞

अजीब सी आदत, गज़ब की फितरत है मेरी,
नफ़रत हो या मोहब्बत बड़ी शिद्दत से करता हूं। 💕👍

The post 2 Line Shayari #232, Chand bhi jhakta hai khidkiyo se appeared first on Shayari.

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad