मैंने तो देखा था बस एक नजर के खातिर,
क्या खबर थी की रग-रग में समां जाओगे तुम।
मेरे इश्क़ के तरीके बेहद जुदा हैं.. औरों से
मुझे तन्हा होने पर भी इश्क़ करना आता है.. तुमसे।
दिल से तेरा ख्याल ना जाए तो क्या करूँ
मैं क्या करूँ कोई ये ना बताए तो क्या करूँ।
वो आँखों ही आँखों में करती है ऐसे बातें,
के कानों कान किसी को खबर नही होती।
ख़ामोशी की तह में छुपा लो सारे उलझनें,
शोर कभी मुश्किलों को आसान नहीं करता।
बयाँ करने थे बस दो अल्फाज मोहब्बत के,
जुबाँ ने साथ ना दिया और आँखें तुम पढ़ ना पाए।
आँखों में काजल रखुगीं किसी का इंतज़ार नहीं,
खूबसूरत हुं मै खूबसूरत दिखुगीं बेक़रार नहीं।
बाद मुद्दत के इक झोंका महसूस हुआ, वीराने दिल में,
ऐ ज़िन्दगी, कहीं ये तेरे कदमों की आहट तो नहीं।
सब मुझे ही कहते हैं कि उसे भूला दे,
उसे कोई नहीं कहता कि वो मेरा हो जाये।
बयाँ करने थे बस दो अल्फाज मोहब्बत के,
जुबाँ ने साथ ना दिया और आँखें तुम पढ़ ना पाए।
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