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Thursday 29 November 2018

किस आधार पर मिलेगा मराठों को 16 फीसदी आरक्षण

73 फीसदी मराठा पिछड़े, 13.42 प्रतिशत निरक्षर, 70 फीसदी मराठा परिवार कच्चे मकान में।

मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने आखिरकार मराठा समाज को शिक्षा और नौकरी में 16 फीसदी आरक्षण देने संबंधी विधेयक मंजूर करा लिया है। राज्यपाल सी. विद्यासागर राव के हस्ताक्षर के बाद आरक्षण लागू किया जाएगा। सरकार द्वारा राज्य पिछड़ा आयोग की एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) सदन में पेश की गई। जिसमें मराठा समाज के आर्थिक, शिक्षा और सामाजिक हालात का ब्यौरा देते हुए आरक्षण की सिफारिश की गई है।

एटीआर के मुताबिक मराठा समाज में पुरानी सामाजिक परंपराएं प्रथाएं आज भी प्रचलित है। पिछडेपन के मानदंडों के आधार पर 73 प्रतिशत मराठा आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक रुप से पिछड़े है। एक दशक में आजीविका की तलाश में 21 प्रतिशत मराठा गांव से शहरों में आए और 88.81 प्रतिशत मराठा महिलाएं पेट की आग बुझाने के लिए मजदूरी करती है। मराठा समाज का शैक्षणिक दर्जा इस प्रकार है मराठा समाज में 13.42 प्रतिशत निरक्षर है, 35.31 प्रतिशत प्राथमिक, 43.79 फीसदी दसवीं से बारहवीं तक पढ़ाई की है। मराठा समाज की 93 प्रतिशत परिवार ऐसे है, जिनकी सालाना आय एक लाख रुपए है। सर्वेक्षण के अनुसार मराठा समाज 24.2 प्रतिशत गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करते है। जो राज्य के औसत तुलना में करीब 37.28 प्रतिशत है। लगभग 71 फीसदी मराठों के पास 10 एकड़ से कम जमीन है, जबकि 2,7 प्रतिशत 10 एकड तक के किसान है।

एटीआर के अनुसार प्रदेश की कुल आबादी में मराठा समाज का प्रतिशत तीस है। सरकारी नौकरी अध्यापक उच्च व तकनीकी संस्थाओं में राज्य में 30 फीसदी जनसंख्या में मराठा समाज के करीब 4.30 प्रतिशत शिक्षा व अध्यापक पद पर है। शिक्षा के अभाव में समुदाय के लोग माथाडी, हमाल, डिब्बेवाला आदि जैसे काम करने को मजबूर है। मराठों की सामाजिक स्थिति यह है कि 76.86 प्रतिशत मराठा परिवार अपनी जीविका के लिए खेती और खेत मजदूरी पर निर्भर है। केवल 6 प्रतिशत मराठा सरकारी व निम्न सरकारी सेवा में कार्यरत है,जिसमें से ज्यादातर कर्मचारी चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी है। एटीआर के अनुसार 70 फीसदी मराठा परिवार कच्चे मकान में रहता है। केलव 35.39 प्रतिशत मराठा परिवारों के पास व्यक्तिगत पानी का नल है। 31.79 प्रतिशत मराठा परिवार आज भी खाना बनाने के लिए लकड़ी आदि ईंधन का उपयोग करता है। वर्ष 2013 से वर्ष 2018 के बीच कुल 13368 किसानों ने आत्महत्या की है। जिसमें से 2152 (23.56 प्रतिशत) मराठा किसान थे।

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