नई दिल्ली। अगले साल मार्च तक देश के लगभग 1.13 लाख एटीएम मशीन बंद हो सकते हैं। बंद होने वाले इन एटीएम में एक लाख विभिन्न बैंकों के स्वामित्व वाले हैं और 15 हजार नॉन बैंकिंग कंपनियों के हैं। रिपोर्ट को कॉनफेडरेशन ऑफ एटीएम इंडस्ट्री (सीएटीएमआई) ने जारी किया है। वर्तमान में देश में 2.38 लाख एटीएम मशीन हैं।
बंद होने वाले इन एटीएम में अधिकतर ग्रामीण क्षेत्र के होंगे। इसके पीछे रिपोर्ट में तर्क दिया गया है कि इन क्षेत्रों के एटीएम को चलाने में दिक्कतें हो रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में एटीएम के बंद होने से वहां के लोगों को पैसे निकालने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे लोग जिनके बैंक खाते में अलग-अलग तरह की सब्सिडी राशि मिलती है उन्हें भी एटीएम के बंद होने की स्थिति में दूर शहर जाकर पैसे निकालना होगा।
इतनी अधिक संख्या में एटीएम के बंद होने से भारी मात्रा में जॉब का भी नुकसान हो सकता है। लोगों के जॉब जाने की स्थिति में अर्थव्यवस्था पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि एटीएम चलाने वाले बैंकों और नॉन बैंकिंग कंपनियों को नोटबंदी और उसके बाद के समय में एटीएम में कैश नहीं रहने के कारण आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा है।
एटीएम के बंद करने के अन्य कारणों में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि बैंकों को इससे प्राप्त होने वाले रेवेन्यू में कोई वृद्धि नहीं हो रही है। रिपोर्ट के अनुसार एटीएम में पैसे डलवाने के खर्च में भारी वृद्धि हो गई है और बैंकों को अब 3500 करोड़ रुपए सिर्फ एटीएम में पैसे डलवाने में खर्च करने पड़ेंगें। रिपोर्ट मे कहा गया है कि अगर एटीएम लगाने वाली कंपनियों के खर्चों में हुई वृद्धि को कम करने के लिए बैंक सहयोग नहीं करती है तो बड़ी संख्या में पूरे देश में एटीएम बंद हो सकते हैं।
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