लखनऊ। पौराणिक ऐतिहासिक चरित्रों का मनन करें तो पाएंगे कि मौन रहकर ही प्रेम के अंतरंग प्रेम में डूबा जा सकता है।
भागवत कथा के साथ ही मौन साधना का महत्व बताते हुए ये विचार वृन्दावन धाम के आचार्य पीयूषजी महाराज ने मौनी मां की स्मृति में भक्तिधाम ट्रस्ट नौलाधारा नौकुचिया ताल नैनीताल द्वारा बीरबल साहनी मार्ग स्थित खाटूश्याम मंदिर परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के छठे दिन व्यक्त किए। कल कथा के अंतिम दिन होगा और शाम चार बजे हवन कर पूर्णाहुति दी जाएगी।
हर प्राणिमात्र की तरह भगवान भी प्रेम के भूखे
यहां व्यास गद्दी पर आसीन आचार्य पीयूूष जी कहा कि हर प्राणिमात्र की तरह भगवान भी प्रेम के भूखे हैं। भगवान के प्रति प्रेम दर्शाने के लिए पूजा.पाठ या निरंतर माला जपने की जरूरत नहींए मौन साधना सर्वश्रेष्ठ मार्ग है। उन्होंने कहा कि हमारी मौनी मां का तो कहना ही है कि मनुष्य की 80 प्रतिशत ऊर्जा मात्र बोलने में खर्च हो जाती है। आचार्य पीयूूषजी महाराज ने कहा कि श्रीकृष्ण ने यमुना तट पर सभी गोपियों को बांसुरी सुनाकर मोहित किया और स्वयं प्रमाणित रूप में प्रगट होकर महारास किया। जब सम्पूर्ण आनन्द की उत्पत्ति होती हैए तभी व्यक्ति नृत्य करता है। श्रीकृष्ण आनन्द के स्वरूप हैं और गोपियां प्रेम की प्रतिमूर्ति हैं। महाराज इंसान का नहीं भगवान का नृत्य है। आगे रुक्मिणी विवाह का प्रसंग कहते हुए आचार्य ने कहा कि रुक्मिणी भगवान की आदि प्रिया लक्ष्मीजी ही हैं।
आरती कर आदि गंगा में श्रद्धालुओं ने किया दीपदान
श्रीकृष्ण द्वारा रुक्मिणी हरण का उद्देश्य शिशुपाल व जरासंध जैसे दुष्टों से बचाना था। इस प्रसंग के साथ जहां कथा ने विश्राम लिया वहींए यहां धूमधाम से रुक्मिणी विवाह का उत्सव मनाया गया। साथ ही आरती कर आदि गंगा में श्रद्धालुओं ने दीपदान किया। इसके अलावा भक्ति संगीत व नृत्य का कार्यक्रम हुआ। आज भी श्रद्धालुओं ने मधुर भजन सुनाए तो बच्चों ने भक्ति गीतों पर नृत्य की मोहक प्रस्तुति दी। सुबह योगगुरु जीवनचन्द्र उप्रेती जीवानन्द के मार्गदर्शन में श्रद्धालुओं ने शिव योग व ध्यान साधना की। मुख्य ट्रस्टी व संयोजक गजेन्द्र सिंह बिष्ट ने बताया कि अगली कथा द्वारिका धाम में होगी और ट्रस्ट का वार्षिकोत्सव अगले वर्ष 27 मई से तीन जून तक नौकुचियाताल में मनाया जाएगा।
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