नई दिल्ली। राम मंदिर पर देश की सियासत गरमाई हुई है, हाल ही में अयोध्या में वीएचपी ने संतों की बड़ी धर्मसभा का आयोजन कर सरकार को ‘अल्टीमेटम’ भी दिया। इस बीच आरएसएस के बड़े नेता इंद्रेश कुमार ने राम मंदिर को लेकर बड़ा बयान देते हुए कहा है कि राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर सरकार अध्यादेश लाने पर विचार कर रही है लेकिन आचार संहिता की वजह से खामोश है।
इसके साथ ही इंद्रेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट की ‘तीन जजों की बेंच’ पर अयोध्या मामले में देरी के लिए हमला बोला। उन्होंने कहा, ”सरकार अगर राम मंदिर पर अध्यादेश ले आती है और कोई सिरफिरा उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगा, तो आज का चीफ जस्टिस उसे स्टे भी कर सकता है।”
अयोध्या मामले की सुनवाई टालने के चीफ जस्टिस की बेंच के फैसले पर इंद्रेश कुमार ने कहा, “मैंने किसी का नाम नहीं लिया है क्योंकि 125 करोड़ भारतीय उनका नाम जानते हैं। तीन जजों की बेंच…उन्होंने देरी की, उन्होंने इनकार किया, उन्होंने असम्मान किया।” उन्होंने आगे कहा कि क्या देश इतना कमजोर हो जाएगा कि ये ‘दो-तीन’ न्यायाधीशों को अपनी मान्यताओं, लोकतंत्र, संविधान और मौलिक अधिकारों का गला घोंटने देगा।
पंजाब विश्वविद्यालय में ‘जन्मभूमि में अन्याय क्यों?’ नाम से आयोजित सेमिनार में इंद्रेश कुमार ने कहा, ”क्या हम और आप असहाय होकर देखते रहेंगे? क्यों और किसलिए? जो आतंकवाद को आधी रात में सुन सकते हैं, वो शांति को अपमान का उपहास कर दे? यहां तक कि अंग्रेजों में न्यायिक प्रक्रिया पर ऐसे अत्याचारों को कायम रखने का साहस भी नहीं था।”
उन्होंने कहा कि हमने उस दिन भारतीय न्यायपालिका का कालादिन देखा जब जनता भरोसे का असम्मान करके न्याय में देरी और इनकार कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने यह नहीं किया, जजों ने यह नहीं किया, न्याय प्रणाली ने यह नहीं किया, लेकिन कुछ लोगों ने किया है। इंद्रेश कुमार ने दावा किया कि ‘दो-तीन जजों’ के खिलाफ गुस्सा बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि सभी लोग न्यायधीश की ओर देख रहे हैं, उन्हें अभी भी भरोसा है…लेकिन न्यायपालिका, न्यायधीश और न्याय का दो तीन जजों की वजह से अपनाम हुआ…इसे बहुत पहले सुना जाना चाहिए था। अगर वे न्याय देने के लिए तैयार नहीं हैं तो उन्हें सोचना चाहिए कि वो जज बने रहना चाहते हैं या इस्तीफा देना चाहते हैं।”
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