नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में गठबंधन के मुद्दे पर तगड़ा झटका झेल चुकी कांग्रेस बिहार में कोई जोखिम नहीं मोल लेना चाहती। यही वजह है कि महागठबंधन के दलों के बीच सम्मानजनक सीट बंटवारे में आ रही अड़चनों को दूर करने के मामले में पार्टी फूंक फूंक कर कदम रख रही है। पार्टी रणनीतिकारों का दावा है कि मार्च के पहले सप्ताह तक विपक्ष के साझा मोर्चा में शामिल सभी दलों के बीच सीटों के बंटवारे की घोषणा कर दी जाएगी। उधर, सीटों के बंटवारे पर पेच फंसता देख कांग्रेस के रणनीतिकारों ने राजद नेता लालू यादव से संपर्क किया है।
कांग्रेस के टिकट पर बिहार में कटिहार से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे वरिष्ठ नेता तारिक अनवर ने कहा कि पहले गठबंधन में मुख्य रूप से राजद और कांग्रेस ही थे। लेकिन इस बार कई नए सहयोगी गठबंधन में जुड़ गए हैं। उपेंद्र कुशवाहा आए हैं, जीतनराम मांझी हैं, मुकेश साहनी हैं। इसके अलावा एनसीपी भी साथ आएगा। सभी दलों की अपनी आकांक्षाएं हैं। सभी अपने हिस्से में ज्यादा सीटें चाहते हैं, जो सियासत में एक सामान्य बात है। यही वजह है कि खूब सोच-विचार कर इस मामले में निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि मार्च के पहले सप्ताह तक इस मुद्दे पर निर्णय ले लिया जाएगा।
बिहार की 40 सीटों में राजद अपना सबसे बड़ा हिस्सा मांग रहा है। उसने 20 से ज्यादा सीटों पर दावा ठोक रखा है। दूसरी ओर कांग्रेस भी 14 सीटों से नीचे आने को तैयार नहीं है। ऐसे में बाकी बच गई छह सीटों में से अन्य सहयोगी दलों के बीच बंटवारा संभव नहीं है। ऐसे में कांग्रेस व राजद दोनों एक दूसरे पर अपनी अपनी सीटें घटाने का दबाव बना रहे हैं। यह भी बताया जा रहा कि राजद की ओर से कांग्रेस को कहा गया कि वह 20 सीटें लेकर सभी अन्य सहयोगी दलों के बीच सीटों का बंटवारा कर ले लेकिन कांग्रेस इस पर राजी नहीं है।
कांग्रेस की ओर से एक फार्मूला यह भी दिया गया है कि खास-खास सीटों पर दावा करने की जगह जीत की संभावनाओं को प्राथमिकता दी जाए और जिस दल के प्रत्याशी की जीत की जहां संभावना अधिक हो, उसको वहां से लड़ाया जाए। कांग्रेस के बिहार के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने इस बात से इनकार किया कि मंगलवार को वे लालू से मिले थे। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि समय रहते बिहार में सभी सहयोगी दलों के बीच सीटों का बंटवारा हो जाएगा।
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