पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाया है। भारतीय वायुसेना ने पीओके के भीतर घुसकर आतंकी ठिकानों पर बम बरसाए और आतंकियों के ठिकानों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया। आतंक के खिलाफ भारत के साथ कई देश शामिल हो गए हैं।
आतंक के खिलाफ जंग के लिए भारत के साथ अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस भी आ गए हैं। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव दिया है कि पाकिस्तान में आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को ब्लैकलिस्ट किया जाए।
हालांकि, इस कदम का चीन द्वारा विरोध किए जाने की संभावना है, जिसने पहले सुरक्षा परिषद की इस्लामिक स्टेट और अलकायदा प्रतिबंध समिति को 2016 और 2017 में JeM नेता मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने से रोक दिया था। चीन की ओर से नए प्रस्ताव पर फिलहाल कोई बयान नहीं है।
संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद प्रतिबंध समिति से अज़हर की वैश्विक यात्रा पर प्रतिबंध और संपत्ति को जब्त करने की अपील की है। रायटर्स द्वारा देखे गए प्रस्ताव के अनुसार, समिति ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए 13 मार्च तक का समय दिया है।
बता दें, भारत 2009 में ही संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई करने का प्रस्ताव पेश कर चुका है। इसके बाद भारत ने 2016 और 2017 में मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव दिया। हर बार चीन अड़ंगा लगा देता है। बीते दिनों फ्रांस ने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी सूची में शामिल करवाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव भेजने का फैसला किया था। इस मामले में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रों के कूटनीतिक सलाहकार से बातचीत भी की थी।
फ्रांस के साथ ही अमेरिका ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन करने का ऐलान किया था। अमेरिकी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अंबेसडर जॉन बोल्टन ने अजित डोभाल से बातचीत में कहा था कि हम इस प्रस्ताव का समर्थन करेंगे। बुधवार को यूएन के सामने प्रस्ताव पेश हो गया। अब सबकी नजर चीन के रुख पर है। हालांकि, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने चीन के विदेश मंत्री से मुलाकात करके आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई में सहयोग मांगा है।
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