जबलपुर। मध्य प्रदेश के शहडोल संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित भारतीय जनता पार्टी के सांसद ज्ञान सिंह को उच्च न्यायालय जबलपुर से झटका लगा है। न्यायालय की एकल पीठ के न्यायाधीश अतुल श्रीधरण ने शुक्रवार को सिंह के निर्वाचन को शून्य घोषित कर दिया। आदेश के क्रियान्वयन पर फिलहाल रोक लगाते हुए एकल पीठ ने सांसद को अपील के लिए 15 दिन का समय दिया है। याचिकाकर्ता महावीर प्रसाद माझी ने बताया कि दायर की गई याचिका में कहा गया था कि उसने शहडोल लोकसभा उपचुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया था, नामांकन के साथ पेश किए गए जाति प्रमाणपत्र पर भाजपा प्रत्याशी ज्ञान सिह ने आपत्ति की थी। ज्ञान सिंह का तर्क था कि याचिकाकर्ता माझी समाज का नहीं है, इसलिए वह आदिवासी वर्ग का नहीं है, जबकि शहडोल लोकसभा सीट आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है।
मांझी की याचिका के अनुसार, भाजपा प्रत्याशी की आपत्ति पर निर्वाचन अधिकारी ने जाति प्रमाणपत्र को फर्जी मानते हुए मांझी का नामांकन निरस्त कर दिया था। निर्वाचन अधिकारी का तर्क था कि जाति प्रमाणपत्र नायब तहसीलदार ने जारी किया है, जबकि जाति प्रमाणपत्र जारी करने का अधिकार एसडीएम व कलेक्टर को है।
याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि उसका जाति प्रमाणपत्र वर्ष 1991 में बना है जबकि एसडीएम एवं कलेक्टर द्वारा जाति प्रमाणपत्र जारी करने की अनिवार्यता वर्ष 2005 से लागू हुई है। याचिकाकर्ता का यह भी तर्क था कि निर्वाचन अधिकारी को अधिकार नहीं है कि किसी के जाति प्रमाणपत्र को गलत करार दे, यह अधिकार जनजाति विभाग की उच्चस्तरीय छानबीन समिति को है।
एकल पीठ सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता के नामांकन पत्र को निरस्त किए जाने को अवैधानिक करार देते हुए सांसद ज्ञान सिह के निर्वाचन को शून्य घोषित कर दिया। सांसद की ओर से अपील करने के लिए समय दिए जाने के आवेदन को स्वीकारते हुए एकल पीठ ने अपनी ओर से जारी आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगाते हुए सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर करने के लिए एक पखवाड़े का समय दिया है।
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