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Friday, 1 March 2019

सरकारी तंत्र नींद में, नियमों की तकिये पर रखकर सो रहा स्कूल प्रबंधन

—कई वाहन जर्जर तो कई बिना कागजों के हो रहे संचालित
खुटार(शाहजहांपुर)। क्षेत्र में संचालित हो रहे प्राईवेट स्कूलों में वाहन संचालन की स्थिति का बुरा हाल हैं। सरकारी तंत्र मानों नींद में हैं और नियमों की तकिया लेकर स्कूल प्रबंधन सो रहा है। बच्चों को घर से स्कूल तक ले जाने और वापस उन्हें घर छोड़ने का जिम्मा जिन वाहनों (बस, टेम्पो व वैन) पर है वे नियमों को ताक पर रखकर वाहनों का संचालन कर रहे हैं। क्षेत्र में सीबीएसई बोर्ड के स्कूलों के वाहन चालक मानकों पर खरा उतरते नजर नहीं आ रहे। नौनिहालों की जान जोखिम में डालकर वह वाहनों को दौड़ाते हैं। स्कूल प्रशासन तो इसे लेकर लापरवाह है ही, बच्चों के अभिभावक भी बेखबर बने हुए हैं। अभिभावक बस बच्चे के दाखिले के समय ट्रांसपोर्ट सुविधा की हामी भर देते है, लेकिन उसके बाद स्कूल संचालक ही मनमानी चलाते हैं। ऐसे में वाहन जर्जर हो जाते हैं, उनकी स्थिति पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं जाता, क्षेत्र में संचालित हो रहो रहे स्कूल में वाहन चालक प्रशिक्षित नहीं है, कई स्कूलों में वाहनों में सहायक चालक मौजूद नहीं है। खिड़कियों पर जाली नहीं है। जैसे कई मानकों की अनदेखी की जा रही है। इसे लेकर स्कूल प्रशासन के साथ अभिभावकों को भी सतर्क रहने की जरूरत है।क्षेत्र में वाहन संचालक स्कूलों में प्रधानाचार्य आदि से मिलीभगत कर लेते हैं। और हर महीने कमीशन पहुंचा देते है तो स्कूल संचालक भी नियमों पर ध्यान नहीं दे रहेे। हादसा हो जाने के बाद जरूर सरकारी तंत्र सहित स्कूल संचालक चेतते हैं, लेकिन कुछ दिन बाद स्थिति पुराने ढर्रे लौट आती है। क्षेत्रों में स्थिति काफी खराब है। बच्चों को भूसे की तरह वाहनों में भर दिया जाता है। वाहन चालक प्रशिक्षित नहीं होते। न ही समय पर उनका स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाता है।स्कूल वाहनों की नियमित चेकिंग के अलावा उनकी फिटनेस व चालकों के लाइसेंस आदि की जांच पड़ताल करने की जिम्मेदारी एआरटीओ विभाग की है, लेकिन वह पूरी तरह अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते नजर आ रहे है। जब कोई अभियान होता है तब स्कूलों में जाकर बच्चों को यातायात नियमों की जानकारी देकर औपचारिकताएं जरूर पूरी की जाती हैं।

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