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Tuesday 30 April 2019

चार दशक पुराना है राजनाथ का लखनऊ से लगाव

केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह मूलतः लखनऊ के नहीं है। लेकिन पिछले करीब चार दशक से उनका लखनऊ के लगाव अवश्य रहा है। इस दौरान यहां के लोगों से उनका संवाद सदैव कायम रहा है। यहां तक कि गाजियाबाद से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद भी लखनऊ से उनका सम्पर्क बाधित नहीं हुआ। उन्नीस सौ सतहत्तर में पहली बार वह मिर्जापुर सदर से विधायक बने थे। लखनऊ से औपचारिक सम्पर्क उसी समय प्रारंभ हुआ। इसके बाद उन्हें भारतीय युवा मोर्चा के प्रांतीय व राष्ट्रीय दायित्व मिला, वह प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री रहे, यह सब प्रदेश की राजधानी से उनके लगाव को प्रगाढ़ करने वाला था। पिछला लोकसभा चुनाव उन्होंने लखनऊ से जीता था। इसके बाद वह देश के गृहमंत्री बने। इस रूप में उनकी बड़ी जिम्मेदारी और व्यस्तता थी। इसके बाद भी वह लखनऊ के लिए समय निकालते थे। अपनी मेहनत के बल पर उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री और लोकसभा सदस्य दोनों की जिम्मेदारी का बखूबी निर्वाह किया, दोनों जिम्मेदारियों के साथ न्याय किया। यही कारण है कि इस बार भी उनकी यहाँ से दावेदारी स्वभाविक है। इसी क्रम में वह अपने द्वारा यहां किये गए कार्यों का उल्लेख करते है, यही उनका रिपोर्ट कार्ड है। स्थानीय स्तर के कार्यो के साथ ही वह नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियों का उल्लेख करते है।राजनाथ सिंह राष्ट्रवाद के प्रति समर्पित है। वह कश्मीर समस्या के पूर्ण समाधान का वादा करते है। डंके की चोट पर कहते है कि सरकार में वापसी हुई तो अनुच्छेद तीन सौ सत्तर समाप्त किया जाएगा। वह कहते है कि राजनीति में मर्यादाओं का अतिक्रमण नही होना चाहिये। भाजपा ने कभी जाति, धर्म और मजहब के आधार पर राजनीति नही की है। राजनीति की है तो इंसान और इंसानियत के आधार पर राजनीति की है। मर्यादायें कभी नही तोड़नी चाहिए। राजनैतिक जीवन में इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए। यह ज्ञान हमें प्राप्त हुआ है तो वह भारत की संस्कृति से प्राप्त होता है। विश्व स्तर पर सबसे पहले भारतीय संस्कृति प्रथा को बढ़ाने का काम स्वामी विवेकानन्द ने किया था। इन चार-पांच सालों में देश का बहुत विकास हुआ है। दो हजार आठ से दो हजार चौदह के मध्य कांग्रेस शासनकाल मे कुल पच्चीस लाख मकान गरीबों के लिये बने थे लेकिन नरेन्द्र मोदी की सरकार पांच वर्षों के कार्यकाल में एक करोड़ तीस लाख मकान गरीबों को लिये बने हैं। स्वच्छता का भी दायरा बढ़ा है। आजादी के बाद से दो हजार चौदह तक स्वच्छता दायरा चवालीस प्रतिशत का जो अब पंचानबे प्रतिशत हो गया है। गरीबों के लिये शौचालय बनाये गये हैं। यही नही गैस चूल्हा कनेक्शन दो हजार चौदह तक मात्र बारह करोड़ कनेक्शन दिये गये थे जबकि पिछले पांच सालों में तेरह करोड़ गैस कनेक्शन दिये जा चुके हैं। सड़के भी अगर चार लेन-छह लेन, आठ लेन बनना प्रारम्भ हुआ था तो वह पं. अटल बिहारी बाजपेयी के कार्यकाल में हुआ था और उस कार्यकाल में सर्वाधिक सड़कों का निर्माण भी हुआ था, या तो अब हो रहा है। इंटरनेशनल पॉलीटिकल एजेंसियों के अनुसार हिन्दुस्तान में जितनी भी राजनैतिक पार्टियां हैं, उनमें से सबसे बेहतर सरकार चलाने वाली पार्टी भारतीय जनता पार्टी है। राजनाथ सिंह यहां अटल बिहारी बाजपेयी का भी स्मरण करते है। यह उन्हीं का संसदीय क्षेत्र है, आदरणीय अटल बिहारी बाजपेयी भारत के ऐसे प्रधानमंत्री थे जिसकी आज के दो दशक में तीन दशक में ढाई दशक में सर्वाधिक ग्रोथ रेट विकास दर जीडीपी रही है, तो वह प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के कार्यकाल में रही है, और अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी अटल बिहारी बाजपेयी की विरासत को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं।राजनाथ ने कहा कि कांग्रेस ने हर कदम पर भ्रष्टाचार किया था। आज कोई यह नहीं कह सकता है कि मोदी सरकार का कोई मंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त है। कांग्रेस झूठे आरोप लगाकर गुमराह करा रही है। कांग्रेस ने तीस वर्ष तक सेना के जवानों को हथियार तक नहीं उपलब्ध कराए। सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने सेना को मजबूत करने का जिम्मा उठाया और राफेल विमान खरीदने का निर्णय लिया। कांग्रेस को यह खरीद पची नहीं तो वह भ्रष्टाचार के झूठे आरोप लगा रही है। सकल घरेलू उत्पाद बढ़ा है। राजनाथ सिंह के प्रयासों से लखनऊ में चौबीस हजार करोड़ रुपये की परियोजनाएं चल रही है। गोमतीनगर रेलवे स्टेशन को अंतरराष्ट्रीय दर्जा दिया गया है। यह अटल बिहारी वाजपेयी का सपना था, जो अब पूरा किया जाएगा। अमौसी एयरपोर्ट भी संवरने जा रहा है। मेट्रो की सौगात शहर को देने के साथ ही एक सौ पांच किलोमीटर लंबी आउटर रिंग रोड भी लखनऊ को मिली है।एक तरफ राजनाथ का लखनऊ से चार दशक पुराना लगाव व सम्पर्क है, वहीं उनके प्रतिद्वंदियों का यही पक्ष कमजोर है। यहां से सपा ने पूनम सिन्हा को उतारा है। उनकी पहचान केवल इतनी है कि वह अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी है, जो कुछ दिन पहले तक भाजपा में थे। कांग्रेस ने चर्चित प्रमोद कृष्णन को उम्मीदवार बनाया है। उन्हें दिग्विजय सिंह का करीबी बताया जाता है। दोनों के बयानों में भी अक्सर समानता रहती है। अभी दिग्विजय ने राष्ट्रविरोधी नारे लगाने के आरोपी कन्हिया कुंमार का समर्थन कर रहे है। उन्हें भोपाल में अपने चुनाव प्रचार हेतु बुलाया है। प्रमोद कृष्णन को भी इस पर अपना विचार देना पड़ेगा। कांग्रेस के गठबन्धन में शामिल राजद ने कनैहिया कुंमार के खिलाफ प्रत्याशी उतारा है। पूनम सिन्हा का मसला भी विवादित है। वह सपा प्रत्याशी है, उनके पति शत्रुघ्न सिन्हा पटना से कांग्रेस के ंउम्मीदवार है। इसमें आपत्ति की कोई बात नहीं है। लेकिन शत्रुघ्न का उनके नामांकन में लखनऊ आना, सपा के लिए वोट मांगना, कांग्रेस उम्मीदवार को नजरअंदाज करना अवसरवादिता है। इसके अलावा पूनम सिन्हा और प्रमोद कृष्णन को चुनावी मौसम का उम्मीदवार माना जा रहा है। दोनों का लखनऊ से कोई संबन्ध नहीं रहा है। चुनाव न होता तो ये यहां दिखाई न देते। ऐसे उदासीन प्रतिद्वंदी उम्मीदवारों ने राजनाथ सिंह की राह आसान कर दी है।

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