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Wednesday 8 May 2019

Bhul Jao Puraan Sapane Ko, Hindi Shayari

माला तो है ही तुम्हारे पास जपने को भूल जाओ पुराने सपने को कविता नागार्जुन सियासत में न अड़ाओ अपनी ये काँपती टाँगें हाँ, मह्राज, राजनीतिक फतवेवाजी से अलग ही रक्खो अपने को माला तो है ही तुम्हारे पास नाम-वाम जपने को भूल जाओ पुराने सपने को न रह जाए, तो- राजघाट पहुँच जाओ बापू की समाधि से जरा दूर हरी दूब पर बैठ जाओ अपना वो लाल गमछा बिछाकर आहिस्ते से गुन-गुनाना : ‘‘बैस्नो जन तो तेणे कहिए जे पीर पराई जाणे रे’’ देखना, 2 अक्टूबर के दिनों में उधर मत झाँकना -जी, हाँ, महाराज ! 2 अक्टूबर वाले सप्ताह में राजघाट भूलकर भी न जाना उन दिनों तो वहाँ तुम्हारी पिटाई भी हो सकती है कुर्ता भी फट सकता है हां, बाबा, अर्जुन नागा ! कवि नागार्जुन

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