लखनऊ। केजीएमयू के इतिहास में दूसरा लिवर का प्रत्यारोपण किया गया। यह प्रत्यारोपण केजीएमयू लखनऊ और मैक्स हास्पिटल साकेत, नईदिल्ली के संयुक्त प्रयास से आज सम्पन्न हुआ। यह जीवित अंग दाता से प्राप्त लिवर का प्रत्यारोपण था जिसमें, पुरूष (45 वर्ष) जो कि क्रोनिक लिवर रोग से ग्रसि तथा, उसके रिश्तेदार (पत्नी का भाई, 35 वर्ष) ने अपना लिवर दिया।लिवर प्रत्यारोपण एक जटिल शल्य चिकित्सीय प्रक्रिया है !
प्रत्यारोपण का खर्च लगभग 7 से 8 लाख
जिसमें लग भग 12 घंटे से भी अधिक का समय लगता है, और यह भारत के कुछ चुनिन्दा संस्थानो में ही होता है।लिवर प्रत्यारोण केजीएमयू के सर्जिकल गैस्ट्रोइण्ट्रोलाॅजी विभाग के लिये मील का पत्थर साबित हुआ है। यह प्रत्यारोपण केजीएमयू में भारत की अन्य संस्थानो की तुलना में बहुत की कम खर्च में किया गया।सूत्रो के अनुसार केजीएमयू मे लिवर प्रत्यारोपण का खर्च लगभग 7 से 8 लाख आने का अनुमान है जो अन्य किसी भी कार्पोरेट अस्पतालो की तुलना में 1/10 वा भाग है।
हालाकिं यहकार्य प्रो एमएलबी भट्ट कुलपति केजीएमयू के सहयोग एवं संरक्षण में सम्पन्न हुआ।प्रत्यारोपण सर्जरी सुबह से लेकर देर शाम तक सम्पन्न हुई।लिवर दाता एवं लिवर प्राप्त कर्ता देानो का स्वास्थ्य स्थिर है।
आपरेशन में इन डॉक्टरों का सहोग
केजीएमयू प्रत्यारोपण टीम के नेतृत्व में सर्जिकल गैस्ट्रो इण्ट्रोलाॅजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो अभिजीत चन्द्रा, डा विवेक गुप्ता, डा विशाल गुप्ता, डा प्रदीप जोशी, एवं निश्चेतना विभाग के डॉ मोहम्मद परवेज, डा अनीता मलिक, डा तन्मय तिवारी एवं डा एहसान, रेडियोलोजी विभाग के डा नीरा कोहली, डा अनित परिहार एवं डा रोहित एवं ट्रान्सफ्यूजन मेडिसिन विभाग की डॉ तुलिका चन्द्रा, माइक्रोबायेलॅजी विभाग की डा अमिता जैन, डा प्रशान्त, डा शीतल वर्मा एवं मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा एस एन शंखवार ने इस महत्वपूर्ण कार्य मे सहयोग दिया।साथ ही मैक्स हास्पिटल के डा सुभाष गुप्ता, लिवर प्रत्यारोपण प्रक्रिया में शामिल थे, जिनकी टीम में डॉ राजेश डे, डॉ शालीन अग्रवाल एव अन्य सर्जन भी थे।
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